Saturday, May 18, 2024
विचार/लेख

सनातन शिक्षा पद्धति और वर्तमान शिक्षा पद्धति में अंतर

विचार। सनातन भारत में चार चीजें बिलकुल मुफ्त थीं , पहला शिक्षा ,दूसरी चिकित्सा ,तीसरी रहने के लिए जमीन ,चोथा था न्याय | हमारे प्राचीन ऋषि मुनिओं का मानना था कि अगर शिक्षा , चिकित्सा , जमीन और न्याय में पैसा घुस गया तो यह पृथ्वी रहने लायक नहीं रहेगी | आजकल की पूंजीवादी व्यवस्था में यह चारों पैसे वालों की जरखरीद गुलाम हैं इसलिए चारों तरफ अफरातफरी मची हुई है | आज हम यहाँ केवल शिक्षा व्यवस्था पर चर्चा करेगें |
सनातन भारत में शिक्षा हर वर्ग के लिए बिलकुल फ्री थी | जो आचार्य शिक्षा देता था इसके बदले में छात्रों से कुछ फीस आदि नहीं लेता था | तो सवाल उठता है कि आचार्यों का खर्च कैसे चलता था तो इसका उत्तर है समाज के द्वारा | गुरुकुलिया शिक्षा व्यवस्था का दयित्व सामाज पर था | शिक्षा व्यवस्था में राज्य का कोई रोल नहीं था | राजा केवल तीन चीजों मुद्रा , रक्षा और परिवहन पर नियत्रण रखता था | सभी छात्र गुरुकुल में पड़ते थे और समाज छात्रों ,आचार्यों और गुरुकुल का सारा भार उठाता था | लेकिन आजकल की पूंजीवादी शिक्षा व्यवस्था पर सरकार और कुछ पूंजीपतिओं का पूर्णतय नियन्त्रण है | इस शिक्षा व्यवस्था में गरीब का कोई स्थान नहीं है |
दूसरा सनातन गुरुकुलीय शिक्षा व्यवस्था में डिग्री आदि का कोई स्थान नहीं था । सनातन शिक्षा इस सिद्धांत पर आधारित थी कि अगर आप में क्षमता है तो आप को डिग्री की कोई जरूरत नहीं । जिस व्यक्ति में क्षमता है उसको डिग्री की क्या जरूरत । आप सनातन भारत के एक भी महान व्यक्ति की डिग्री के बारे में बता दो । चाणक्य ,शिवाजी महाराज ,महाराणा प्रताप ,आर्यभट , चरक, सुश्रुत, भागभट,आदि के पास कौन सी डिग्री थी तो क्या वह अनपढ़ थे । आजकल की पूंजीवादी शिक्षा प्रणाली में हरेक ज्ञानी आज्ञानी डिग्रीयां उठाकर घूम रहा है । दो चार professional डिग्रियां को छोड़ कर हर डिग्री बाज़ार में उपलब्ध है । यही फर्जी डिग्री धारक बेरोजगारी का रोना रोते रहते हैं । आजकल की पूंजीवादी शिक्षा व्यवस्था में एक बार जिसको BA आदि डिग्री भी मिल गई वह कोई और काम भी नहीं कर सकता । उसका अहकार आड़े आ जाता है । कई बड़े बड़े पूंजीपतियों ने बड़े बड़े एजुकेशनल इंस्टीट्यूट के नाम पर लव सेंटर खोल रखे हैं यहां पर यह आपके कीमती चार पांच साल बर्बाद कर आपको एक डिग्री थमा देते हैं जिसके बाद आपको आता जाता तो कुछ नहीं आप चले जाते हैं कोई नौकरी लेने, जहां पर आपको लात मारकर भगा देते हैं फिर आपके पास सरकारी नौकरी के अतिरिक्त कोई चारा नहीं बचता। इसलिए सारे देश में आरक्षण की चिल पों मची रहती है ।
आज की पूंजीवादी शिक्षा व्यवस्था एक व्यक्ति की रचनात्मकता को समाप्त कर देती है । यह पूंजीवादी शिक्षा व्यवस्था बिना किसी छात्र की रूची जाने ,बिना उसकी क्षमता को पहचाने ,सबको एक ही तरह की शिक्षा देती है जैसे मान लो एक कक्षा में चार छात्र हैं एक हाथी जैसा बलवान है दूसरा गाता बहुत अच्छा है , तीसरे की पेंटिंग में रुचि है चौथा एक अच्छा तैराक है अब अगर चारों छात्रों को हम गणित पढ़ाने बैठ जाए तो हो सकता है की दो छात्र फेल हो जाएं तो क्या वह छात्र किसी काम के नहीं ।असल जिंदगी में सबका अपना अपना महत्व है जहां पर बलबान की जरूरत है वहां पर तीनो छात्र काम नही कर सकते | पर आज की पूंजीवादी शिक्षा व्यवस्था में नये विचार स्वतंत्र विचारों का कोई महत्व नही है ,जैसे की अगर आप अर्थशास्त्र की परीक्षा में यह लिख दो कि अगर देश की अर्थव्यवस्था को मजबूत करना है तो देश की सैन्य ताकत को बढ़ाना पडेगा ,जैसे कि इराक सीरीया आदि देश अर्थिक रूप से बहुत सुदृढ थे लेकिन इनकी सेना कमजोर होने के कारण यह अब खंडहर जैसे दिखते हैं। इनकी अर्थव्यवस्था तहस-नहस हो गई है ।जैसे मैं आपसे कहूं कि आपने एक करोड रुपए कमा लिये और यह एक करोड रुपया आप एक थैले में भरकर जा रहे हैं रास्ते में एक गुंडा आया और उसने ₹100 का चाकू निकाला और आपकी गर्दन पर रख दिया और आपने डर कर उसको एक करोड रुपए दे दिया ।आप बताओ आपका एक करोड रुपए शक्तिशाली हुआ या उसका ₹100 का चाकू ।आप बोलेंगे की ₹100 का चाकू ।अब अगर मैं अर्थशास्त्र के पर्चे में यह सब लिख दूं कि देश की अर्थव्यवस्था को मजबूत करने के लिए देश की सैन्य क्षमता मजबूत होनी चाहिए तो क्या मैं अर्थशास्त्री बन सकता हॅू? नही। आजकल की पूंजीवादी शिक्षा व्यवस्था ऐसे ही रचनात्मकता को मारती है ।आप कुछ नया सोच ही नही सकते ।आप कुछ नया लिख नहीं सकते ।क्योंकि आजकल की पूंजीवादी शिक्षा व्यवस्था आपको महान बनाने के लिए नहीं, बल्कि आपको एक उपभोक्ता या एक क्लर्क आदि बनाने के लिए ही डिजाइन की गई है ।
मैंने आगे एक वीडियो डाला है जो सनातन वैदिक गुरुकुल पद्धति की यह विशेषता दर्शता है कि कैसे गुरूकुलीय शिक्षा पद्धति में नये विचारों की स्वतन्त्रता होती थी । इस वीडियो में चाणक्य का तक्षशिला विश्वविद्यालय में admission के लिये साक्षात्कार हो रहा है । कुलपति के मंत्री मण्डल संबधी प्रश्न पुछने पर चाणक्य अपने स्वयं का मत भी दे देतें हैं तो भी कुलपति उनको तक्षशिला विश्वविद्यालय में दाखिला दे देतें हैं, अगर आज की पूंजीवादी शिक्षा व्यवस्था होती तो आचार्य चाणक्य को फैल कर देती, क्योकि आचार्य चाणक्य आज की पूजीवादी शिक्षा व्यवस्था में फिट नही बैठते|
सनातन भारत की शिक्षा व्यवस्था इन सारे विकारों से मुक्त थी | इस सनातन शिक्षा व्यवस्था ने भारत को सन 1700 तक विश्व का NO1 अमीर देश और विश्व गुरु बना कर रखा था | सनातन सिक्षा व्यवस्था एक proven शिक्षा व्यवस्था है मेरी कोई कपोल कल्पना नहीं | इस शिक्षा व्यवस्था ने हमें विश्व गुरु , सोने की चिड़िया बना कर रखा लगातार 10000 सालों तक | इस पूंजीवादी व्व्यव्स्था ने हमें क्या दिया , बेरोजगार युवक , दम तोड़ता पर्यावरण , आत्महत्या करता हुआ किसान , न्याय के भटकता हुआ आम आदमी , अनगिनत लाइलाज़ बीमारियाँ , भ्रष्ट तन्त्र , टूटती हुई परिवार व्यवस्था | क्यों ना इस सड़ी हुई पूंजीवादी व्यवस्था को कचरे के डब्बे में फैंक दें और सब के लिए सुख देने वाली सनातन व्यवस्था को पुनर्जीवित करें |

-राजीव कुमार