Tuesday, July 2, 2024
बस्ती मण्डल

ईश्वरीय चेतना का सरलीकरण ही अवतार है श्री कृष्ण जन्म की कथा सुनकर भावविभोर हुए श्रद्धालु

बस्ती। अवतार के तीन भेद किए गए हैं जन्म, समागम और प्राकट्य। शरीर का जन्म होता है, आत्मा और शरीर का समागम होता है, ईश्वर का केवल प्राकट्य होता है। भगवान श्रीकृष्ण ने अपने भक्तों का उद्धार व पृथ्वी को दैत्य शक्तियों से मुक्त कराने के लिए अवतार लिया था। जब-जब पृथ्वी पर धर्म की हानि होती है, तब-तब भगवान धरती पर अवतरित होते हैं। यह सद्विचार कथा व्यास आचार्य धनञ्जय जी महराज ने बहादुरपुर विकासखण्ड के कचूरे गाँव में बुधवार को श्रीमद्भागवत कथा के चौथे दिन व्यक्त किया। कथा में एसडीएम अनामिका मौर्य, प्रभाकर ओझा आदि ने अयोध्या से पधारे आचार्य ऋतुराज और विवेक के सहयोग से पोथी पूजा व आरती का कार्य किया। महराज जी ने कहा कि भगवान हमेशा अपने भक्तों का ध्यान रखते हैं। उन्होंने कहा कि जब-जब धरती पर पाप, अनाचार बढ़ता है, तब-तब भगवान श्रीहरि धरा पर किसी न किसी रूप में अवतार लेकर भक्तों के संकट को हरते हैं। जब अत्याचारी कंस के पापों से धरती डोलने लगी, तो भगवान कृष्ण को अवतरित होना पड़ा। सात संतानों के बाद जब देवकी गर्भवती हुई, तो उसे अपनी इस संतान की मृत्यु का भय सता रहा था। भगवान की लीला वे स्वयं ही समझ सकते हैं। भगवान कृष्ण के जन्म लेते ही जेल के सभी बंधन टूट गए और भगवान श्रीकृष्ण गोकुल पहुंच गए। कथा के दौरान शास्त्री जी ने तमाम गीतों के माध्यम से श्रीकृष्ण जन्म का वर्णन किया और साथ ही निकाली गई झांकी ने दर्शकों का मन मोह लिया सभी श्रद्धालु झूम उठे।
इस अवसर पर रामकुमार मौर्य, दिवाकर ओझा, सूर्य प्रकाश मौर्य, सुनील पाठक, राकेश चौधरी, विनय, अभिषेक सहित बड़ी संख्या में लोग मौजूद रहे।