पुण्य तिथि पर याद किये गये महात्मा टिकैत
बस्ती । बुधवार को भारतीय किसान यूनियन द्वारा महात्मा चौधरी महेन्द्र सिंह टिकैत को उनके तेरहवी पुण्य तिथि पर याद किया गया। जिलाध्यक्ष गौरीशंकर चौधरी के संयोजन में शिविर कार्यालय शिवा कालोनी में आयोजित कार्यक्रम जल, जंगल, जमीन पर्यावरण बचाओ संकल्प दिवस पर केन्द्रित रहा। उनकी स्मृति में जिला चिकित्सालय के मरीजों में फल का वितरण किया गया।
भाकियू के पूर्वान्चल अध्यक्ष अनूप चौधरी ने कहा कि किसानों के मसीहा चौधरी महेंद्र सिंह टिकैत को ‘महात्मा बाबा’ की उपाधि उनके संघर्षों के कारण मिली। देशभर में किसान, मजदूर और मजलूमों के हक के लिए उन्होंने अपना जीवन समर्पित कर दिया था, उन्हें हमेशा महानायक की भूमिका में याद किया जायेगा। प्रदेश उपाध्यक्ष सुभाष किसान, मण्डल अध्यक्ष महेन्द्र चौधरी, पूर्वान्चल सचिव शोभाराम ठाकुर, जयराम वर्मा, बन्धू चौधरी, राम मनोहर, रामचन्द्र सिंह आदि ने महात्मा जी के चित्र पर माल्यार्पण के बाद कहा कि बाबा को जाति धर्म से कोई मतलब नहीं था। वह किसानों के मसीहा थे। किसानों की जाति धर्म को उन्होंने कभी नहीं देखा। उनकी एक आवाज पर हजारों किसान एकत्र हो जाते थे। उनका योगदान युगों तक याद किया जायेगा। प्रदेश सचिव दीवान चन्द पटेल ने कहा कि चौधरी महेंद्र सिंह टिकैत वास्तव में किसानों के बहुत बड़े नेता थे। उनके जीवन का उद्देश्य किसानों को इतना जागरूक करना था कि किसान की आवाज भी हुक्मरानों तक पहुंच सके। किसानों को वाजिब हक दिलाने के लिए तमाम बड़े राजनेताओं से समय-समय पर टकराव मोल लिया। मुण्डेरवा चीनी मिल आन्दोलन के दौरान महात्मा चौधरी महेन्द्र सिंह टिकैत ने कमान संभाली थी और केन्द्र और राज्य सरकारों को मजबूर होना पड़ा था। किसानों का हित उनके लिये सर्वस्व थे। उनके जीवन संघर्षो से प्रेरणा लेकर किसानोें को अपने अधिकारों के लिये एकजुटता बनाये रखनी होगी।
महात्मा चौधरी महेन्द्र सिंह टिकैत के पुण्य तिथि पर आयोजित कार्यक्रम में मुख्य रूप से सुग्रीव प्रसाद, मरेश चन्द्र, जगदीश, रामकृपाल चौहान, राकेश, लालजी, तिलकराम, गंगाराम, राजेन्द्र प्रसाद, रामभजन, चन्द्र प्रकाश चौधरी, रामदास, विनोद कुमार, रविन्द्र कुमार, जगदम्बा प्रसाद, अनन्त राम, राम उग्रह, मेवालाल, परशुराम, रामशव्द, सचिन, राम बहाल, दयाशंकर मौर्य, राम सुरेमन, पण्डा यादव, रामफेर, पारसनाथ के साथ ही भाकियू के अनेक पदाधिकारी, कार्यकर्ता, किसान, मजदूर शामिल रहे।