पर्व है पुरुषार्थ का….
पर्व है पुरुषार्थ का,
सज गए दीप मेरे राम, तुम्हारे लिए ।
दीप के दिव्यार्थ का ,
है प्रकाश का पर्व मेरे राम तुम्हारे लिए ।
घर की देहरी पर अखंड दीप एक ,
जलता रहे अविराम मेरे राम,
तुम्हारे लिए।
अंधकार से युद्ध अविराम, चलता रहे मेरे राम,
तुम्हारे लिए ।
हारेगा अंधियारा हर बार,
दूर होगी हर कालिमा मेरे राम ,
तुम्हारे लिए ।
जीतेगी जगमग उजियारे की,
स्वर्णिम लालिमा मेरे राम, तुम्हारे लिए।
होगी जगमग श्रद्धा भक्ति, हर एक हृदय में मेरे राम, तुम्हारे लिए ।
दीपक के लौ की ज्योति ही प्रथम तीर्थ निवेदित मेरे राम तुम्हारे लिए ।
रहे कायम यह अर्थ वरना, व्यर्थ है यह प्रकाश मेरे राम, तुम्हारे लिए ।
आशीषों की मधुर छांव, सपनों के गुंजित भावों की पालकी मेरे राम ,
तुम्हारे लिए ।
शुभकामनाएं हमारी झिलमिल,
प्रकाश में निवेदित मेरे राम तुम्हारे लिए ।
अविरल आशीष हो फलित, आस्था के आलोक में मेरे राम ,
तुम्हारे लिए ।
आदर सम्मान की हर हाल में हो ,
भावना मेरे राम ,
तुम्हारे लिए ।
सब करें आदर युक्त अविरल ,
मंगल कामना मेरे राम, तुम्हारे लिए ।
हर घर में हो हो पाठ अखंड रामायण का ,
भरी हृदय में रहे सुंदर कामना मेरे राम ,
तुम्हारे लिए ।
रची है ये शब्दों को बना अपना मीत ,
महिमा ने ये स्वरचित शब्दांजलि मेरे राम,
तुम्हारे लिए ।
स्वरचित
शब्द मेरे मीत
डाक्टर महिमा सिंह