Saturday, May 18, 2024
साहित्य जगत

पर्व है पुरुषार्थ का….

पर्व है पुरुषार्थ का,
सज गए दीप मेरे राम, तुम्हारे लिए ।

दीप के दिव्यार्थ का ,
है प्रकाश का पर्व मेरे राम तुम्हारे लिए ।

घर की देहरी पर अखंड दीप एक ,
जलता रहे अविराम मेरे राम,
तुम्हारे लिए।

अंधकार से युद्ध अविराम, चलता रहे मेरे राम,
तुम्हारे लिए ।

हारेगा अंधियारा हर बार,
दूर होगी हर कालिमा मेरे राम ,
तुम्हारे लिए ।

जीतेगी जगमग उजियारे की,
स्वर्णिम लालिमा मेरे राम, तुम्हारे लिए।

होगी जगमग श्रद्धा भक्ति, हर एक हृदय में मेरे राम, तुम्हारे लिए ।

दीपक के लौ की ज्योति ही प्रथम तीर्थ निवेदित मेरे राम तुम्हारे लिए ।

रहे कायम यह अर्थ वरना, व्यर्थ है यह प्रकाश मेरे राम, तुम्हारे लिए ।

आशीषों की मधुर छांव, सपनों के गुंजित भावों की पालकी मेरे राम ,
तुम्हारे लिए ।

शुभकामनाएं हमारी झिलमिल,
प्रकाश में निवेदित मेरे राम तुम्हारे लिए ।

अविरल आशीष हो फलित, आस्था के आलोक में मेरे राम ,
तुम्हारे लिए ।

आदर सम्मान की हर हाल में हो ,
भावना मेरे राम ,
तुम्हारे लिए ।

सब करें आदर युक्त अविरल ,
मंगल कामना मेरे राम, तुम्हारे लिए ।

हर घर में हो हो पाठ अखंड रामायण का ,
भरी हृदय में रहे सुंदर कामना मेरे राम ,
तुम्हारे लिए ।

रची है ये शब्दों को बना अपना मीत ,
महिमा ने ये स्वरचित शब्दांजलि मेरे राम,
तुम्हारे लिए ।

स्वरचित
शब्द मेरे मीत
डाक्टर महिमा सिंह