Monday, July 1, 2024
बस्ती मण्डल

भरत मिलाप की लीला देख सजल हुए नैन

बस्ती। सनातन धर्म संस्था, बस्ती द्वारा आयोजित श्री रामलीला महोत्सव में पांचवे दिन का शुभारंभ प्रभु श्री राम जी की आरती के साथ प्रारम्भ हुआ। आरती में मुख्य रूप से कर्नल के सी मिश्र अजय नारायण, आशीष अभय , प्रियंका सिंह, हरीश त्रिपाठी रंजीत सिंह, धर्मराज, शक्ति संगठन की पूजा, ज्योति सम्मिलित हुए। सरस्वती बालिका मंदिर रामबाग के छात्राओं द्वारा की जा रही लीला में दिखा कि सुमन्त्र जी जो प्रभु श्री राम चन्द्र जी के साथ वन इस उद्देश्य से गये थे कि वे प्रभु श्री रामचन्द्र को मना कर वापस अयोध्या लिवा लाएंगे किंतु मर्यादा पुरुषोत्तम श्री राम के संकल्प के आगे बिना साथ लिए भारी मन से अयोध्या लौट रहे थे किन्तु मार्ग में ही व्याकुल होकर रथ सहित रुक जाते हैं। निषाद राज जी द्वारा सुमंत्र को समझाकर अयोध्या पहुँचाया जाता है। जब सुमन्त्र द्वारा महाराज दशरथ को यह पता चलता है कि प्रभु श्री राम अयोध्या वापस नही आ रहे हैं वो विलाप कर धरती पर गिर पड़ते हैं और सबको बताते हैं कि किस प्रकार एक बार अनजाने में ऋषि शांतनु के पुत्र श्रवण कुमार की मृत्यु दशरथ जी के शब्द भेदी बाण से हो जाती है जिससे ऋषि शान्तनु व ज्ञानवती ने उन्हें श्राप दिया था कि वे भी पुत्र वियोग में अपने प्राण त्याग देंगे, मेरा वो समय आ गया है और विलाप करते करते राम राम कहते हुये अपने प्राण त्याग देते हैं।
भरत गुरु वशिष्ठ के बुलावे पर तत्क्षण अयोध्या वापस आते हैं और प्रभु श्री राम के 14 वर्षों के वनवास का समाचार और राम के वियोग में पिता दशरथ ने प्राण त्यागने से मूर्तिवत हो जाते हैं और वो माता कैकेई पर भयंकर कुपित हुए। दासी मंथरा का शत्रुघ्न कूबड़ तोड़ देते हैं। पिता का अंतिम संस्कार कर भरत जी गुरु वशिष्ठ जी, माताओं समेत प्रभु को मानने वन की ओर चल देते हैं । निषादराज गुह के सहयोग से भरत की प्रभु से भेंट होती है। भरत के करुण क्रंदन से श्री राम का मन द्रवित हो उठा। भाई भरत द्वारा पिता की मृत्यु का समाचार सुन प्रभु श्री राम , लक्ष्मण व सीता जी सहित शोक में डूब जाते हैं। गुरु वशिष्ठ प्रभु को समझाते हैं कि उनके बिना अयोध्या अनाथ है कृपया वे पुनः राज सम्हालें। प्रभु बताते हैं रघुकुल रीत सदा चली आयी। प्राण जाएं पर वचन न जाई।। पिता के वचनों का मान सर्वोपरि हैं। तब वे भरत को राज धर्म की शिक्षा दे वापस लौट जाने की आज्ञा देते हैं भरत लौटने से पूर्व प्रभु के खड़ाऊं मांगते हैं जिसे प्रभु के वापस आने तक सिंहासन पर रख वे राज्य का संचालन करेंगे। राम भक्त ले चला रे राम की निशानी, शीश पे खड़ाऊं अँखियों में पानी गीत के साथ हुए मंचन मे जब भरत जी सभी के बीच से खड़ाऊं लेकर निकलते हैं तो पूरे पंडाल में उपस्थित सभी के नेत्र सजल कर दिये।