Saturday, May 18, 2024
बस्ती मण्डल

विश्व पर्यावरण दिवस पखवाड़े के तहत विश्व खाद्य सुरक्षा दिवस पर खाद्य सुरक्षा के उपायों पर चर्चा

बस्ती/* आज पूरा पर्यावरण और विश्व खाद्य सुरक्षा दिवस मना रहा है, जिसका मुख्य उद्देश्य दुनिया से भुखमरी को खत्म करना तथा सभी तक भोजन की उचित मात्रा उपलब्ध कराना है. 2023 में हम यह स्पष्ट रूप से देख सकते हैं, कि ग्लोबल वार्मिंग के कारण खाद्य पदार्थों की कीमतें बढ़ती जा रही हैं, जिससे अंतरराष्ट्रीय तनाव भी बढ़ता जा रहा है. परिणामस्वरूप हमारी वैश्विक खाद्य सुरक्षा बहुत बुरी तरह से प्रभावित हो रही है. यह बातें बस्ती रेलवे स्टेशन रोड स्थित एक मैरेज हाल में विश्व युवक केंद्र नई दिल्ली के सहयोग से युवा विकास समिति द्वारा मनाये जा रहे विश्व पर्यावरण दिवस पखवाड़ा के तहत आयोजित गोष्ठी और पौध वितरण कार्यक्रम के मुख्य अतिथि के तौर पर प्रगतिशील किसान व योग गुरु गरुणध्वज पाण्डेय नें कही.

उन्होंने कहा की हमें एक ऐसी स्थायी दुनिया बनाने की जरूरत है जहां हर किसी को, हर जगह पर्याप्त पौष्टिक भोजन उपलब्ध हो, तथा कोई भी इससे वंचित न रहे. जिसके लिए पर्यावरण संरक्षण किये जाने के साथ ही प्लास्टिक के उपयोग में कमी लाये जाने की जरूरत है. उन्होंने कहा की दुनिया का तापमान बढ़ रहा है और जलवायु परिवर्तन अब इंसानी जीवन के हर पहलू को ख़तरे में डाल रहा है.

वरिष्ठ एक्यूप्रेशर और प्राकृतिक चिकित्सक डॉ. नवीन सिंह नें कहा की जलवायु परिवर्तन की घटनाओं ने बाढ़ और सूखे के साथ-साथ भूस्खलन,चक्रवात जैसे घटनाओं को भी प्रभावित किया है, जो मानव जीवन को अस्त-व्यस्त कर रहा है. परिणामस्वरूप वैश्विक खाद्य कीमतें बढ़ रही हैं. जहां देश मे कई जगहों पर भारी बारिश, बाढ़ आदि के कारण अनेकों लोगों की जान गई वहीं सूखे ने चावल के उत्पादन को कम कर दिया.

उन्होंने कहा की 2050 तक विश्व की आबादी लगभग 9.5 अरब हो जाएगी, जिसका स्पष्ट मतलब है कि हमें दो अरब अतिरिक्त लोगों के लिए 70 प्रतिशत ज्यादा खाना पैदा करना होगा. इसलिए खाद्य और कृषि प्रणाली को जलवायु परिवर्तन के अनुकूल बनाना होगा और ज्यादा लचीला, उपजाऊ व टिकाऊ बनाने की जरूरत होगी. इसके लिए प्राकृतिक संसाधनों का उचित इस्तेमाल करना होगा और खेती के बाद होने वाले नुकसान में कमी के साथ ही फसल की कटाई, भंडारण, पैकेजिंग और बुलाई व विपणन की प्रक्रियाओं के साथ ही जरूरी बुनियादी ढांचा सुविधाओं में सुधार करना होगा.

साहित्यकार धर्मेन्द्र कुमार पाण्डेय नें कहा की वैश्विक खाद्य नीति रिपोर्ट 2022 के अनुसार जलवायु परिवर्तन के कारण होने वाली खाद्य असुरक्षा की वजह से लगभग 650 लाख लोग जोखिम में हैं, तथा 2030 तक लगभग 17 मिलियन लोगों को भूख का सामना करना पड़ सकता है. रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि यद्यपि वैश्विक खाद्य उत्पादन 2050 तक 60 प्रतिशत बढ़ता है, तो भी 50 करोड़ भारतीय ऐसे होंगे जो तब भी खाद्य असुरक्षा का सामना करेंगे. इन 50 करोड़ में से सात करोड़ लोग मुख्य रूप से जलवायु परिवर्तन के कारण भूख से पीड़ित होंगे. इस लिए हमें खेतों में जैव खादों के उपयोग को बढाते हुए मिटटी में प्लास्टिक के पहुच को रोकना होगा.

इस मौके पर मथुरा प्रसाद त्रिपाठी, डॉ अजय कुमार, संजय कुमार, डॉ. ज्योति, डॉ राम मोहन पाल, डॉ श्रवण कुमार और माधुरी नें भी अपना विचार रखा. गोष्ठी में हर्ष देव, सचिन्द्र शुक्ल, स्कन्द, विवेक पाण्डेय सहित अनेकों लोग मौजूद रहे. इस मौके पर बेल, अमरुद, तुलसी, आंवला और मौलश्री के पौधे भी वितरित किये गए.