Saturday, May 18, 2024
बस्ती मण्डल

जयंती पर याद किये गये डा. राम मनोहर लोहिया जनता को जनतंत्र का निर्णायक मानते थे डा. लोहिया- महेन्द्रनाथ यादव

बस्ती । स्वतन्त्रता संग्राम सेनानी, प्रखर चिन्तक समाजवादी विचारक डॉ. राम मनोहर लोहिया को उनकी जयन्ती पर समाजवादी पार्टी कार्यालय पर आयोजित संगोष्ठी में गुरूवार को याद किया गया। उनके चित्र पर माल्यार्पण करते हुये वक्ताओं ने कहा कि डॉ. लोहिया ने विश्व-नागरिकता का सपना देखा था। वह मानव-मात्र को किसी देश का नहीं बल्कि विश्व का नागरिक मानते थे। जनता को वह जनतंत्र का निर्णायक मानते थे।

डॉ. लोहिया को नमन् करते हुये समाजवादी पार्टी के निवर्तमान अध्यक्ष एवं सदर विधायक महेन्द्रनाथ यादव ने कहा कि डा. लोहिया मानव की स्थापना के पक्षधर समाजवादी थे। वह समाजवादी भी इस अर्थ में थे कि, समाज ही उनका कार्यक्षेत्र था और वह अपने कार्यक्षेत्र को जनमंगल की अनुभूतियों से महकाना चाहते थे। वे चाहते थे कि व्यक्ति-व्यक्ति के बीच कोई भेद, कोई दुराव और कोई दीवार न रहे। सब जन समान हो, सब जन का मंगल हो।
अध्यक्षता करते हुये पूर्व विधायक राजमणि पाण्डेय ने कहा कि डा. लोहिया के जीवन से युवा पीढी को प्रेरणा लेनी चाहिये कि किस प्रकार से उन्होने विषम परिस्थितियों में समाजवाद की अलख को जगाये रखा। सपा विधायक राजेन्द्र चौधरी, कविन्द्र चौधरी अतुल ने कहा कि डॉ राम मनोहर लोहिया की दृष्टि में भारत को सुधारने और उसे प्रगति की राह पर लाने का एकमात्र रास्ता समाजवाद था उनके समाजवाद संबंधी विचारों का उल्लेख उनकी पुस्तकों में मिलता है। हमें उनके जीवन से प्रेरणा लेनी चाहिये। कहा कि देश में बढ़ती बेरोजगारी, महंगाई, छात्र-छात्राओं में हताशा की किरणें और आए दिन राजनीतिक परिदृश्य में परिवर्तन इस ओर इशारा करती हैं कि राम मनोहर लोहिया की समाजवादी विचारधारा आज भी प्रासंगिक है। संचालन करते हुये मो. सलीम ने डा. लोहिया के जीवन से जुड़े अनेक प्रसंगों पर प्रकाश डाला।
कार्यक्रम में राजाराम यादव, गुलाम गौस, जावेद पिण्डारी अरविन्द सोनकर, रामशंकर निराला, संजय जायसवाल, राजेन्द्र चौरसिया, सुरेन्द्र सिंह ‘छोटे’राघवेन्द्र सिंह, गीता भारती आदि ने डा. लोहिया के जीवन वृत्त पर विस्तार से प्रकाश डालते हुये कहा कि वे सदैव हिंदू मुस्लिम एकता पर बल दिया करते थे । उनका मानना था कि सरकार चाहे लड़ती रहे मगर हिंदू और मुसलमानों को एक हो जाना चाहिए डॉक्टर लोहिया ने न्याय उदारता और दृढ़ता से हिंदू मुसलमानों के विनाश के कारणों को ढूंढने तथा उनका समाधान करने की प्रेरणा दी ।
गोष्ठी में मो. स्वालेह, राजेश यादव, प्रशान्त यादव, कल्लू मोदनवाल, आमिर मेकरानी, मो. हाशिम, रमेश गौतम, डा. वीरेन्द्र यादव, रजनीश यादव, तूफानी यादव, गिरीश चन्द्र, चन्द्र प्रकाश चौधरी, कन्हैयालाल सोनकर, जावेद, वैजनाथ शर्मा, धु्रव चन्द्र चौधरी, मो. कामिल, राघवेन्द्र सिंह, घनश्याम यादव, युनूस आलम, गौरीशंकर, जितेन्द्र पाल, गुलाब चन्द्र सोनकर, भोला पाण्डेय, सुशील यादव, युगुल किशोर चौधरी, बालकृष्ण साहू, जिब्बू खान, जमीरूल्लाह, शमी, के साथ ही सपा के अनेक पदाधिकारी, कार्यकर्ता शामिल रहे।