Saturday, May 18, 2024
बस्ती मण्डल

दूसरे को जो यश दे वही यशोदा माता-करपात्री जी महाराज

श्रीमद्भागवत कथा

बस्ती । संसार में जो जाग्रत रहता है उसे ही परमात्मा के दर्शन होते हैं। यश सभी को दोगे और अपयश अपने पास रखोगे तो कृष्ण प्रसन्न होंगे। दूसरे को जो यश दे वही तो यशोदा माता है। जो व्यक्ति वसुदेव की भांति श्रीकृष्ण को अपने मस्तक पर विराजमान करते हैं उनके सभी बन्धन टूट जाते हैं। सम्पत्ति और सन्तति का सर्वनाश हो गया था फिर भी वसुदेव-देवकी दीनता पूर्वक ईश्वर की आराधना करते हैं। यह सद् विचार संत करपात्री जी महाराज जियर स्वामी ने गौर विकास खण्ड के ढोढरी गांव में चल रहे श्रीमद्भागवत कथा में व्यासपीठ से व्यक्त किया। इस अवसर पर डुमरियागंज के सांसद भाजपा के वरिष्ठ नेता जगदम्बिका पाल ने कथा श्रवण के साथ ही उपस्थित महिलाओं को अंग वस्त्र भेंटकर उनका सम्मान किया।
दशम स्कन्ध को भगवान श्रीकृष्ण का हृदय बताते हुये महात्मा जी ने कहा कि कंस अभिमान है, वह जीव मात्र को बन्द किये रहता है। सुख की इच्छा ही दुःख का कारण है। ईश्वर की सेवा के बदले जो कुछ मांगे वह तो व्यापारी हुआ, वहां भक्ति कहां है। सत्य ही वह साधन है जिसके सहारे मनुष्य सत्यनारायण हो जाता है। हरिश्चन्द्र ने पत्नी का विक्रय करके भी सत्य का निर्वाह किया था। महाभारत के युद्ध में द्रोणाचार्य के प्रसंग में श्रीकृष्ण को असत्य बोलना पड़ा था। उनके असत्य बचन भी सत्य है क्योंकि उससे लोक मंगल की भावना जुड़ी है। जो व्यक्ति बलि की भांति तन, मन, धन भगवान को अर्पित करता है भगवान उसके द्वारपाल बनते हैं।
महात्मा जी ने कहा कि ब्रम्ह सम्बन्ध होने पर जगत के बन्धन टूट जाते हैं। यशोदा के गोद में खेलते हुये बाल कृष्ण का गोपियां दही से अभिषेक करने लगी। आनन्द में पागल गोपियां कन्हैया का जय-जयकार कर रही है। महात्मा जी ने कहा कि जो सदैव आनन्द में रहे वही नन्द हैं। ईश्वर से मिलन होने पर जीव आनन्द से झूम उठता है। उत्सव तो हृदय में होना चाहिये। आजकल लोग शरीर की अपेक्षा मन से अधिक पाप करते हैं। शरीर को मथुरा बनाओ तो आनन्द आ जाय।
मुख्य यजमान शशिकान्त पाण्डेय, श्रीमती सुनीता पाण्डेय, रमाकान्त पाण्डेय, श्रीमती मीना पाण्डेय ने विधि विधान से व्यास पीठ का पूजन किया। पिता रामचन्द्र पाण्डेय, माता श्रीमती कृष्ण लली पाण्डेय की स्मृति में आयोजित श्रीमद्भागवत कथा में चन्द्रबली पाण्डेय, राम सहाय यादव, जोखू प्रधान, मनोज सिंह, रामनरेश यादव, विनोद पाण्डेय, डा. संजय, रवि शंकर, सुखपाल, अम्बिका यादव, लालजी मिश्र, लाल मोहनदास, सूर्य नरायन तिवारी, कम्बल यादव, भगवान प्रसाद मिश्र, राम सूरत यादव, अनीस चौधरी, शेषराम यादव, छोटेलाल गुप्ता, भगवत प्रसाद, शिवाजी यादव, विक्रम चौधरी, सन्तोष कुमार तिवारी, लवकुश, अरविन्द शुक्ल, मयाराम, राजमनि वर्मा, साधू यादव, सुशीला, सुमन, संध्या पाण्डेय के साथ ही बड़ी संख्या में श्रद्धालु उपस्थित रहे।