ग़ज़ल
हुआ है आज मेरा दिल दीवाना होली में ।
जोगीरा फाग का छेड़ो तराना होली में।।
गुलाल गोरी के रुख़ पे लगाना होली में।
न कोई फिर से चलेगा बहाना होली में।।
हरेक सिम्त घटाएं खुशी की छा जाएं।
क़दम क़दम पे सभी को हंसाना होली में।।
हंसी खुशी से तू मिलना हरेक इंसा से।
यही है फ़र्ज़ ,इसी को निभाना होली में।।
मिज़ाज देखके उसका ये लग रहा है मुझे।
मिला है दोस्त कोई फिर पुराना होली में।।
यही दुआ है मोहब्बत के फूल खिल जाएं।
ज़रा सा खोल दे दिल का ख़ज़ाना होली में।।
कहां ये वक्त दोबारा मिलेगा अब हर्षित।
हर ऐक ग़म को है दिल से मिटाना होली में।।
विनोद उपाध्याय हर्षित