Sunday, May 19, 2024
बस्ती मण्डल

सक्रिय क्षय रोगी खोजी अभियान का पहला चरण शुरू, पहले दिन लिये गये 16 नमूने

24 फरवरी से पांच मार्च तक आशा और एएनएम खोजेंगी टीबी के नये मरीज

गोरखपुर। सक्रिय क्षय रोगी खोजी अभियान (एसीएफ कैम्पेन) का पहला चरण जिले में शुरू हो गया है । अभियान के पहले दिन 20 फरवरी को बाल संरक्षण गृह और मदरसे में किशोरों औरबच्चों की स्क्रीनिंग की गयी। लक्षण के आधार पर 16 नमूने लेकर जांच के लिए भेजे गये हैं । जिला क्षय रोग अधिकारी डॉ गणेश प्रसाद यादव ने बताया कि अभियान के पहले चरण में 23 फरवरी तक जेल, अनाथालय, बाल संरक्षण गृह, वृद्धाश्रम और मदरसों जैसे स्थानोंपर मरीज खोजे जाएंगे । 24 फरवरी से पांच मार्च तक आशा और एएनएम की टीम समुदाय के बीच जाकर क्षय रोगियों को खोजेंगी ।

जिला क्षय रोग अधिकारी ने बताया कि कुछ भ्रांतियों और धारणाओं को पाल कर टीबी से ग्रसित व्यक्ति की नकारात्मक छवि बना दी जाती है और समाज उसे अस्वीकार करने लगता है। टीबी मरीज इसी नकारात्मक छवि और सामाजिक अस्वीकृति के कारण उपचार के लिए सामने नहीं आते हैं । ऐसे मरीजों को सामने लाने में एसीएफ कैम्पेन की अहम भूमिका होती है। कैम्पेन के दौरान स्वास्थ्यकर्मी लोगों को विश्वास दिलाते हैं कि संभावित मरीज की पूर्ण गोपनीयता रखते हुए इलाज की सुविधा उपलब्ध कराई जाएगी। टीबी की गुणवत्तापूर्ण जांच से लेकर बेहतरीन दवाओं के साथ इलाज की सुविधा तक सरकारी स्वास्थ्य प्रणाली के पास उपलब्ध है । ऐसे में लक्षण दिखते ही टीबी की जांच के लिए लोगों को आगे आना चाहिए।

डॉ यादव ने बताया कि देश में बड़ी संख्या में किशोर और बच्चे भी टीबी से ग्रसित हो जाते हैं । उन्हें इस बीमारी की जानकारी भी नहीं होती है। स्वास्थ्य केंद्रों तक पहुंचने की बाधा भी उनके सामने होती है। ऐसे में एसीएफ कैम्पेन के दौरान बाल संरक्षण गृह, मदरसों और अनाथालयों तक पहुंच इन बच्चों और किशोरों को इस बीमारी से मुक्त कराने की पहल की जा रही है। जिले में 14 ऐसे स्थानों पर स्क्रीनिंग कर सैम्पल लिये जा रहे हैं । इस कार्य में उप जिला क्षय रोग अधिकारी डॉ विराट स्वरूप श्रीवास्तव, डीपीसी धर्मवीर प्रताप सिंह, पीपीएम समन्वयक अभय नारायण मिश्र, मिर्जा आफताब बेग और वर्ल्ड विजन इंडिया संस्था के प्रतिनिधिगण सहयोग कर रहे हैं।

*435 की हुई स्क्रीनिंग*

डीटीओ ने बताया कि अभियान के पहले दिन मदरसे में 240 बच्चों की और बाल संरक्षण गृह में 195 किशोरों की स्क्रीनिंग की गयी । दस बच्चों में टीबी के संभावित लक्षणों के आधार पर उनके सैम्पल लिये गये । छह किशोरों में लक्षण दिखे और उनके भी सैम्पल लिये गये हैं ।

*यह लक्षण दिखें तो कराएं जांच*

• दो सप्ताह या अधिक समय तक खांसी
• खांसी से साथ बलगम या खून आना
• भूख न लगना
• तेजी से वजन का कम होना
• सांस फूलना
• रात के समय पसीने के साथ बुखार

*विश्वास जीत कर करानी है जांच*

सीनियर ट्रीटमेंट सुपरवाइजर (एसटीएस) गोविंद का कहना है कि टीबी के लक्षण वाले मरीजों को यह विश्वास दिलाना है कि उनकी गोपनीयता बरकरार रखते हुए इलाज कराया जाएगा। उन्हें यह भी बताया जा रहा है कि सरकार की तरफ से टीबी मरीज को दवा और जांच के साथ-साथ पांच सौ रुपये प्रति माह इलाज चलने तक पोषण के लिए भी देने का प्रावधान है।