Monday, April 29, 2024
साहित्य जगत

आज के ताजा दोहे

मनुज रूप में धरा पर फिर लो प्रभु अवतार।
कोरोना के असुर का आज करो संहार।
कोरोना ने कर दिया बंद प्रगति का द्वार।
नहीं अतिथि का कर रहा अब कोई सत्कार।
नहीं अंकुरित हो रहा आज प्यार का बीज।
कब जाएगा धरा से यह कोरोना नीच।
कोरोना का पतन हो, कायम हो सद्भाव।
धरती पर सुख शांति का फिर हो आविर्भाव।
जब से आया धरा पर यह कोरोना नीच।
कितनी दूरी बढ़ गई मेरे – तेरे बीच।
डॉ. वी. के. वर्मा
चिकित्साधिकारी
जिला चिकित्सालय बस्ती