Sunday, April 21, 2024
साहित्य जगत

साहित्यकारों ने मनाया मिलकर डॉक्टर महिमा सिंह का जन्म दिवस विशेष।

मानव जीवन में अनेकों उत्सव आते हैं परंतु किसी का भी जन्मदिन बहुत ही विशेष दिवस होता है और हर कोई इसे यादगार बनाना चाहता है और हर किसी से शुभकामनाओं की भी उम्मीद रखता है इसी बात को ध्यान रखते हुए सरिता जी ने एक विशेष आयोजन किया। उन्होंने डॉक्टर महिमा सिंह के जन्मदिन पर सरिता त्रिपाठी फेसबुक लाइव पेज पर एक विशेष काव्य गोष्ठी का आयोजन किया। जिसका उद्देश्य था डॉक्टर महिमा सिंह को उनके जन्मदिन पर बधाई देना एवं कविता पाठ। सभी साहित्यकारों ने सुंदर भावों का गुलदस्ता बनाकर अपनी विशिष्ट रचनाओं को शब्दों में गुथंकर एक सुंदर उपहार उनके जन्मदिन पर उनको प्रदान किया । कार्यक्रम का आरंभ आदरणीय रश्मि जी ने अपने खूबसूरत चिर परिचित अंदाज में किया उन्होंने आदरणीय अक्स जी को मां शारदे की वंदना हेतु आमंत्रित किया और उन्होंने बहुत ही सुंदर मां शारदे की वंदना प्रस्तुत की।
वह अभिभूत थी आनंदित थी और बहुत ही भावुक थी उन्होंने कहा कि ऐसा जन्मदिवस आज से पहले ना कभी मना और ना मन पाएगा यह दिन उनके ह्रदय के सदैव करीब रहेगा सभी साहित्यकारों ने उनको बहुत ही सुंदर शब्दों में जन्मदिन की बधाइयां दी और सभी ने इस विशेष काव्य गोष्ठी की सराहना की और कहा कि सभी साहित्यकारों के जन्मदिवस पर ऐसी ही गोष्ठी का आयोजन होना चाहिए। यह एक बहुत ही अच्छी पहल है ।
जुड़ने वाले साथी कलाकारों में सरिता जी एवं सभी जुड़ने वाले साहित्य सखाओं को हृदय की गहराइयों से अनेकों धन्यवाद। ऐसा प्यारा और अनोखा उपहार जन्मदिन का शायद मुझे ना मिला है ना मिलेगा यह मेरे जीवन की अभूतपूर्व उपलब्धि और बहुमूल्य याद बनकर मेरी अमूल्य निधियों में सुरक्षित रहेगी कल की शाम मैंने जिन पलों को जिया है वह मेरे ह्रदय के लिए बहुत खास है सरिता जी आपको ढेरों आशीर्वाद और बहुत सारा प्यार हमारा रिश्ता यूं ही बना रहे हम चाहे कहीं भी रहे कुछ भी करें हमेशा साथ रहेंगे जुड़े रहेंगे, और कुछ न कुछ साहित्य के लिए करते रहेंगे यही आशा है और यही आशीष है।
रश्मि जी का बहुत-बहुत आभार इतनी व्यस्त होने के बाद भी इतना समय उन्होंने कल दिया और साथ कार्यक्रम को बहुत ही सुंदर और सजीव एवं उत्कृष्ट संचालन से जीवंत रखा और सभी को बहुत ही सुंदरता से बहुत ही सुंदर पंक्तियों द्वारा सम्मानित करते हुए आमंत्रित किया सच में आप लाजवाब है ईश्वर आपको और आपके प्यारों को हमेशा खुश रखे और कल जो हम सब के अग्रज हैं जन है दादा गोविंद शांडिल्य जी, सुनील चौधरी दीद लखनवी जी , प्रदीप जी, कालिका प्रसाद त्रिपाठी जी, एल .बी. तिवारी अक्स जी , महेंद्र भट्ट जी, आदरणीय विजय श्रीवास्तव जी ,नीलू सिन्हा जी , सविता भारतद्वाज जी, प्रीति पाण्डेय जी,मीरा भारती जी, कल्पना लाल जी , प्रज्ञा पांडे जी , वीरेंद्र राय जी , सविता सिंह जी, अस्थाना महेश प्रकाश जी रुचि गोपाल जी, प्रदीप सहाय वेदर जी ,डॉ श्रुति कौशिक ,आलोक मिश्रा जी, सरिता सिंह जी, कन्हैया लाल भ्रमर जी, डाक्टर मंजु चौहान,कवि राज यदुवंशी,
सभी स्नेही जनों को कोटी कोटी धन्यवाद आप सभी के स्नेह आशीष के लिए हृदय की गहराइयों से आभारी हूं।
आदरणीय महेंद्र भट्ट जी ने
महिमा जी के अवतरण दिवस पर “दे रहे आशीष तुझे, अपने मन को खोल।
शाम सबेरे द्वार पर, बजे खुशी के ढोल।।” सुंदर पंक्तियो द्वारा आशीष प्रदान किया।
कालिका प्रसाद त्रिपाठी जी ने “खूब सूरत यह निशा संगम लिए ,
काव्य सरिता की लहर महिमा लिए,
साहित्य संगम जन्म की तारीख पर,
“कालिका’मन मुदित मिलने के लिए” सुंदर पंक्तियों द्वारा अपना स्नेह आशीष प्रदान किया फिर बहुत ही सुंदर काव्य पाठ किया। क्रम में आदरणीय नीलू जी प्रीति जी अन्य सभी स्नेही जनों ने बहुत ही सुंदर स्वरचित पंक्तियों द्वारा उनको अपना अपना स्नेह आशीष प्रदान किया। आद


रणीय विजय श्रीवास्तव जी ने अपनी खूबसूरत पंक्तियों द्वारा अपना आशीर्वाद दिया “”आप इस चमन का फूल, इस आंगन का चांद है।
आपकी रौशनी से चमकता यह खानदान है ,बावस्ता सबकी चाहते तमाम , इस घर में रहने वालों की आप दिलो जान है।
रूचि गोपाल जी ने अपने। सरल हृदय और सुंदर हृदय का परिचय अपनी सुंदर अभिव्यक्ति से दिया। रुचि जी आपके प्यार के लिए कोटि-कोटि धन्यवाद प्रस्तुत है उनकी कुछ पंक्तियां—–

मुस्कुराकर आपसे हर राज कह देते हैं ,
जाने क्या है बात आपमे की, जिंदगी की किताब खोल देते हैं ।
लगता नहीं डर हमको कि राज कहीं सारेआम न हो जाए ,

आदरणीय डाक्टर नीलू जी ने —हैं नयी मंजिलें और नए रास्ते , हैं नया यह सफर बस तेरे वास्ते ।
मंजिल से पहले ना लेना तू दम और शिखर पर रुके जाकर तेरे कदम। द्वारा अपना स्नेह आशीष दिया।
इसी क्रम में मेरी प्रिय मित्र और छोटी बहन समान सखा सरिता जो की एक बहुत ही अच्छे व्यक्तित्व की इंसान और कवियत्री हैं, जिन्होंने इतना सुंदर पारिवारिक मंच सजा रखा है जिस पर हम सब आकर हमेशा ही समय को भी भूल जाते हैं ।सरिता जी मेरे प्यारे दिल के करीब अदब के शहर लखनऊ से ही हैं सरिता त्रिपाठी जी ने बहुत ही सुंदर पंक्तियां मेरे जन्मदिन के उपलक्ष्य में मुझे समर्पित की उसकी कुछ पंक्तियां इस प्रकार है——
जन्मदिन पर क्या लिखूँ, क्या भेजूं सौगात
खुशियाँ बढ़ती ही रहें, दिल से दिल की बात

आदरणीय सुनील चौधरी दीद लखनवी जी ने जब पंक्तियां प्रस्तुत की तो मंच पर उपस्थित सभी लोग वाह-वाह कर उठे वह थी ही इतनी विशिष्ट और अप्रतिम
किसी का वाह करना बहुत कठिन कार्य होता है और यह जो करले उसका ह्रदय यकीन जानिए बहुत ही साफ होता है सुनील जी ने जैसे ही पंक्तियां प्रस्तुत की मैं निशब्द रह गई बहुत कुछ कहना चाहती थी ,हूं परंतु शब्द कम है मैं सच बोल रही हूं आप पढ़ कर खुद ही समझ जाएंगे मैं भाग्यशाली हूं कि उनके रूप में एक उच्च साहित्यकार उत्कृष्ट गायक मेरे साहित्य सखा है और मेरे लखनऊ शहर के हैं। प्रस्तुत है उनकी स्नेह आशीष रूपी कुछ पंक्तियां–
वो आईना हैं मेरे शहर की तस्वीर हैं वो,
वो दोस्तों मे हैं अव्वल दिलों की हीर हैं वो ॥

आदरणीय दादा गोविंद शांडिल्य जी ने जी ने अपना आशीर्वाद “””रुकना नहीं निरंतर चलना सब कुछ यहीं कहीं है अरे तुम जियो सैकड़ों बरस तुम्हारी मंजिल दूर नहीं है सुंदर पंक्तियो द्वारा प्रदान किया और उन्होंने कहा कि इस तरह के आयोजन अवश्य होने चाहिए और आग्रह पर उन्होंने कोयलिया वाला सुंदर गीत सुनाया।
प्रीति जी ने सुंदर पंक्तियों द्वारा कहा की —सुबह की सुंदर किरण सी तूं,
अधरों पर मुस्कान सी तूं
काव्य जगत का सुनहरा तारा तूं, तेरी चमक से चकाचौंध हो आंखें सबकी
ऐसा आफताब तूं ,सरिता की धारा में बहती तू,
ऐसी है महिमा तेरी।
अब बारी आई रश्मि जी की जिन्होंने कार्यक्रम का शुरू से आखिर तक खूबसूरत बेजोड़ संचालन किया उन्होंने बहुत ही सुंदर बुंदेलखंडी गीत तोरे कमर तक लहराए चुटिला काले रेशम का अपने बेजोड़ अंदाज में सुनाया। और –“”यू खिलो जैसे नभ में खिले चांदनी, छेड़ती ही रहो प्यार की रागिनी प्रिय की बाहों का श्रृंगार करती रहो ,
मधु मधुरतम रहे आपकी यामिनी।”””सुंदर पंक्तियों द्वारा अपना स्नेह आशीष प्रदान किया।
आलोक जी ने भी अपना स्नेह आशीष प्रदान किया —“”तन्हाईयां उदासियां तुमको न छू सके ,रातों के दरमियान चिरागों सी रहो तुम। ठोकर तुम्हारी राह की मेरे नसीब हो ,फूलों के गुलिस्तां में गुलाबों सी रहो तुम।
ईश्वर का कोटि-कोटि धन्यवाद कि मुझे आशीर्वाद स्वरुप में इतने विशिष्ट साहित्य शाखा प्रदान किए जिनसे मैं सदा कुछ ना कुछ सीखने का प्रयास करती हूं‌ ।कोई ओज विधा में माहिर है कोई हास्य व्यंग में माहिर है कोई गीत ग़ज़ल में ।हर कोई कहीं ना कहीं अपने स्थान पर विशिष्टता रखता है इस काव्य गोष्ठी में जो भी स्नेहीजन जुड़े वे सभी मेरे लिए बहुत ही सम्माननीय आदरणीय और विशिष्ट हैं यदि किसी के लिए कुछ भी लिखना रह गया हो तो वह क्षमा करें ।
सुनील सर ने कहा कि अब रिटर्न गिफ्ट का समय हो चला है तो मैंने कुछ कोशिश की कुछ इस तरह से —-

“””हुआ है आज कुछ ऐसा नशा , की अब ना भाएगा कोई भी नशा ।
जिंदगी की धूप छांव में, सबसे बड़ा संबल है दोस्त ।
ये मेरा सबसे कीमती खजाना है ,
बड़ी जतन से प्यार का पासवर्ड मैंने इस पर डाला है ,
और बड़ी तरतीब से हर जहमत को उठाकर,
बहुत प्यार से सीने के पास तिजोरी में रखा है संभाल कर।
आलोक जी का आलोक ऐसा फैले,
कि हम भी उस आलोक में हर बार नहाए ।
प्रीत की ऐसी डोर से बांधे प्रीत को हम की प्रीति को जाने ना दें कहीं भी ।
रश्मि जी के तो कहने ही क्या कभी भाव तो कभी शब्द और आज तो मुझे शेर से भी मिलवाया।
और शेर भी ऐसा जो एक ही तो मिलता है जब चाहे उस पर बैठ जाओ, जब चाहे लड़ लो जब चाहे ठिठोली कर लो, जब चाहे धमकी दे दो ।
वह शेर हम सब को एक ही मिलता है और बड़ा खास उपहार मिलता है प्यारा सा। रश्मि की स्नेह रश्मि में हम सब नहाए मुझे तो मिल गया एक आलिंगन प्यारा सा दूर से ही सही मुझे महसूस हो रहा है रश्मि जी के बाहों का हार प्यारा सा। नकल भी नहीं ,असल भी नहीं,
ये ना पीतल है ,ना चांदी है अरे मेरे दोस्तों ये तो खालिस नीलम है जो भाता है किसी किसी को सुहाता है किसी किसी को।
मिला है मुझे आज जड़ूगी इसे आज खालिस सोने में और इसको चमका चमका कर दिखाऊंगी ।
कुछ शब्दों की खीर मीठी सी,
कुछ भाव के खूबसूरत से खुशबूदार पुलाव।
कुछ खास था जाएका,
कुछ खास थे बावर्ची आज हर कोने से आए थे।
आज मेहमान-ए- खास। लेकिन हर व्यंजन था लाजवाब क्योंकि हर कौर पर, हर बात पर निकली बरबस बस वाह ही वाह।””””महिमा

रश्मि जी ने सच ही कहा कि कुछ खास जानना है तो प्यार करके देखो अपनी आंखों में किसी को उतार कर के देखो ।
चोट उनको लगेगी और आंखों से आंसू तुम्हारे होंगे ये एहसास जानना है तो दिल हार कर के देखो। दुआएं सभी की मिल जाए बस यही काफी है ,दवाई तो कीमत अदा करने से भी मिल ही जाती है।
सच में आज मंच पर उपस्थित सभी ने प्यार की और स्नेह की ऐसी वर्षा की कि उसमें मेरे साथ-साथ सभी भीग गए ।ईश्वर करें ऐसी काव्य संध्या जो लगभग 3 घंटे चली हम बार-बार सजाएं इस परिवार का प्यार हम सबको यूं ही मिलता रहे सरिता जी का बहुत-बहुत धन्यवाद इतने अनुपम उपहार के लिए।

शब्द मेरे मीत
डाक्टर महिमा सिंह