Sunday, January 26, 2025
साहित्य जगत

कोरोना पर रचना

जब से यह कोरोना आया।
चिर विनाश का जाल बिछाया।।
हुए सभी मंसूबे ध्वस्त।
हर प्राणी है दुःख से त्रस्त।।
ऐसी विपदा कभी न आयी।
महाप्रलय ने ली अंगडाई।।
सूख गया है सुख का बाग।
धधक रही है उर में आग।।
कहाँ गया फूलो का खिलना।
दूर हुआ आपस मे मिलना।।
मत इतना कोहराम मचाए।
कोरोना भारत से जाए।।
“भास्कर” है पूरा विश्वास।
कोरोना का होगा नाश।।
डॉ भास्कर शर्मा
सिद्धार्थनगर(उ०प्र०)
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