Sunday, January 26, 2025
साहित्य जगत

दिल में समन्दर सा तुफान लिए…..

दिल में समन्दर सा तुफान लिए
कुछ स्मृतियों के धुन गुनगुना रही
किरणों ने बिखेरा है साज अनहद
सुर लहरी बन तरंगें झिलमिला रही
वक़्त से पहले वक्त का तकाजा था,कि
आसाध्य सांझ की बेला तुझे बुला रही
उठ रहीं लहरें कुछ इस तरह कि मानो
वादियों को भी मचलना सिखा रहीं
उड़ चला मन का पंछी भी अब तो
दिल के टहनियों पर, कुछ ठौर पा रही,
बिठा कर यादों की कश्ती में हमें
“आर्या “पूरी दुनिया की सैर करा रही
आर्यावर्ती सरोज “आर्या”
लखनऊ ( उत्तर प्रदेश)