Friday, July 5, 2024
बस्ती मण्डल

संस्कृत और संस्कार

बस्ती। आज के आधुनिक परिवेश में ,विकास की दौड़ में ,धन कमाने की होड़ में कभी कभी जिस सबसे बड़ी कमी का अनुभव हम सबको होता है वो है संस्कार की कमी जी हां हो सकता है मेरी इस बात पर कुछ सहमत अथवा असहमत हों पर सत्य से मुख मोड़ कर समस्या को और अधिक प्रोत्साहन देने जैसा होगा आज हम अपनी संस्कृति को विस्मृत करते हुए पाश्चात्य सभ्यता का अनुकरण या यूं कहें कि अंधानुकरण करते जा रहे हैं ये तो उसी प्रकार है की हम अपने जड़ों पर प्रहार करते हुए अपने आप को निरंतर कमजोर बनाते जाएं किसी देश का विकास निर्बाध गति से तभी संभव है जब वहां की संस्कृति मजबूत हो ,हमारी संस्कृति ही हमारी जड़ है जिसे आज हम बलहीन करने पर तुले हैं एक तरफ जहां आज हमारी संस्कृति जो उच्च कोटि के आदर्शों से भरी पड़ी है आज विदेशों में निवास करने वालों को प्रभावित कर रही हैं वहीं हम स्वयं के संस्कारों , उच्चकोटि के जीवन शैली के आदर्शों को ,सम्मान से परिपूर्ण प्रणाम के भाव को ,गीता के गान को रामायण के गुणगान को भूलते जा रहे हैं। आज आवश्यकता है अपने बच्चों को जो भारत वर्ष के सुनहरे भविष्य के निर्माण में अपना बहुमूल्य योगदान देंगे उन्हें संस्कार युक्त शिक्षा प्रदान करने की। संस्कार उत्पन्न करने के लिए अपनी संस्कृति को पहचानना आवश्यक है और अपनी संस्कृति को पहचानना है तो हम देव वाणी संस्कृत को जानना होगा। मेरा मानना है की संस्कृत भाषा को वैज्ञानिक तरीके से सरल और रोचक बनाकर यदि बच्चों को पढ़ाया जाए तो बहुत ही सुखद और आशा का संचार करने वाले परिणाम दिखाई देंगे बच्चों को अन्य भाषाओं के साथ संस्कृत भाषा में भी ज्ञान प्राप्त हो इसके लिए हम सभी को भागीरथ प्रयास करने की आवश्यकता सबसे पहले इस मिथ्या वाक्य को जड़ से मिटाना होगा जो आज सबके मस्तिष्क में भरी पड़ी है की संस्कृत भाषा कठिन है आज बच्चों को गीता के श्लोक कंठस्थ कराने की आवश्यकता है साथ ही उसके वैज्ञानिक महत्व से भी परिचय कराना होगा। बच्चों को उपनिषद की कथाओं को सरल और रोचक ढंग से सुनाकर उसके मूल उद्देश्य से परिचय कराना होगा। योग आयुर्वेद इत्यादि को महत्व प्रदान करना होगा। हमारी संस्कृति भाषा संस्कारों की अमूल्य निधि को अपने भीतर सजाए हुए है आवश्यकता है इसे हमे और हमारे बच्चों तक पहुंचने की आइए हम सब मिलकर संकल्प लें की अपनी देव वाणी संस्कृत भाषा का प्रचार प्रसार करेंगे तथा मां भारती की अस्मिता को रक्षा करने के लिए एक संस्कारवान पीढ़ी का निर्माण करेंगे ।

मानवी सिंह
जीजीआईसी बस्ती