Saturday, May 18, 2024
साहित्य जगत

एक काव्य संध्या – स्टोरीमिरर प्रतियोगिता के विजेताओं के संग।

‘आज के इस भाग दौड़ से घिरी हुयी इस जिंदगी की आपाधापी में हम खुद को कहाँ खो देते है पता ही नहीं चलता। ऐसे में साहित्य हमें ठहराव और सुकून के पल प्रदान करता है। साहित्य समाज का दर्पण है यह तथ्य समय-समय पर सार्थक सिद्ध हुआ है और सदा रहेगा।

जिस प्रकार सागर अपनी गहराई और विशालता के लिए जाना जाता और अपनी असीमित गहराई में बहुमूल्य वस्तुएं संजोए रहता है ठीक वैसे ही साहित्य भी है, सागर के जैसा विशाल और गहरा।
अनेको विधाओ में अनेकों भाव, असीमित अभिव्यक्ति साहित्यकारों ने समय समय पर प्रस्तुत करके समस्त संसार को मार्ग दिखाता रहा है। हम सबके समक्ष सदैव भावों और विचारों को अनूठे शब्दों में परिलक्षित किया है।
हम सब परिवार और सामाजिक जिम्मेदारियों में अपनी योग्यता को भूल बैठते हैं ऐसे में वर्तमान समय में ऑनलाइन मंचों ने साहित्य के लिए साधना करने वालों के लिए अत्यन्त महत्वपूर्ण एवं बहुत सारी संभावनाओ के मार्ग खोल दिए हैं। वर्तमान ऑनलाइन मंचों ने एक नया आयाम प्रस्तुत किया है, जिसने दूरी के मिथक को तोड़ा है जो बहुत ही सराहनीय हैं। कई मंच साहित्यकारो को मिले है जिसने उनको एक नई दिशा और मन की संतुष्टि प्रदान की है।

स्टोरीमिरर का अपना एक विशेष अस्तित्व एवं पहचान हैं। स्टोरीमिरर बहुत ही अलग अलग विधाओ में साहित्य की अविराम सेवा कर रहा हैं। यह मंच भिन्न-भिन्न सुअवसर प्रदान करता रहता है। समय समय पर, विभिन्न महत्वपूर्ण अवसरों पर एव तिथियों पर उत्कृष्ठ प्रतियोगिताओ का आयोजन तो करता ही रहता है, साथ ही साथ नये-नये कीर्तिमान भी निरंतर स्थापित कर रहा है।
पारदर्शिता से काम करना एवं ईमानदारी स्टोरीमिरर की विशेष पहचान है।
ऐसे ही हम सभी को एक प्रतियोगिता का लिंक ‘मिला, सबके माध्यम अलग-अलग हो सकते है। हम सभी ने अपनी- अपनी रचना प्रेषित करी और दैनिक कार्यो मे व्यस्त हो गए। तभी अचानक से यश जी ने मेल किया और काल भी किया कि सभी 20 विजेताओं की एक काव्य गोष्ठी आयोजित होने जा रही है। सारी जानकारी उपलब्ध करायी और 17 अगस्त शाम के 5 बजे का समय निर्धारित किया गूगल मीट पर ।

सभी साहित्य के प्रबुद्धजन 5 बजे मंच पर अपनी अपनी चिरपरिचित मुस्कान और मोहक छवि के संग आन विराजे।
मंच सज चुका था। श्री यश यादव जी के सानिध्य और मार्गदर्शन एवं स्मिता सिंह चौहान के सधे हुए संचालन में कार्य क्रम का आरम्भ हुआ। सभी एक दूसरे से अनभिज्ञ किंतु एक दूसरे को सुनने और जानने को उत्सुक थे।

यश जी ने स्टोरीमिरर का संक्षिप्त एवं सुंदर परिचय दिया। माँ शारदे की वंदना से संध्या का आरम्भ हुआ।
सर्वप्रथम स्मिता सिंह जी ने माँ के ऊपर बहुत ही भावपूर्ण अति उत्कृष्ठ अपनी रचना प्रस्तुत की — तेरे किरदार को जो उकेर दे शब्दों में, ऐसी लेखनी नही बनी।

अगले साहित्य के पुरोधा राजेन्द्र जी ने सशक्त रचना प्रस्तुत करी जिसने हम सबको सोचने पर मजबूर कर दिया।
कोई कल को खोज रहा, कोई कल की सोच रहा, होके बदहवास, जाने कहाँ घूम रहा।

पद्मा वर्मा जी (पुणे) से जुड़ी और आपने ‘मिला दूसरा जनम’ नामक शीर्षक पर अपनी सुंदर पंक्तियाँ प्रस्तुत की।
ऐ जिंदगी मिला है दूसरा जन्म मुझे कर रही हूँ कविता पाठ स्टोरीमिरर के मंच पर।

अमन जी ने हिंदी भाषा के ऊपर हृदय के करीब और सुंदर अभिव्यक्ति प्रस्तुत करी। उनकी कविता की एक पंक्ति जो एक सार्वभौमिक सत्य को इंगित कर गयी वो थी – “पर जब चोट हृदय को पहुँचे, जो पहली बोली आती है,
अपनी हीं भाषा की तुमको याद दिला कर जाती है”

राजीव जी ने बहुत ही सटीक एवं सधी हुयी व्यंग विधा मे अपनी प्रस्तुति दी।
मैं कवि नहीं हूं कविता का मुझको कोई ज्ञान नहीं। शब्द अलंकार मात्राओं का होता कोई भान नहीं।

राजस्थान से जुडी कलम की सशक्त साहित्य सखा प्रियंका सक्सेना ने अपनी हास्य कविता से मंच को गुदगुदा दिया बहुत ही सहजता से एक अत्यन्त खूबसूरत बात को ‘कहानी घर घर की’ शीर्षक की अपनी रचना हम सब के बीच प्रस्तुत की और हम सब जुड़ से गए और हर चेहरा मुस्कुरा उठा।

निरा मजाक कोरी शरारत है ये बस दिमागी कीडे की हरकत हैं। ——–खबर को ही हम आज खबर बना दिए हैं।
मुख्य रूप से पति पत्नी के बीच समय और साथ को लेकर सुंदर खाका खींचा उन्होंने।

हरियाणा की मधुवशिष्ठ जी ने गागर मे सागर भरने की बात को चरितार्थ किया और कम शब्दो मे सुंदर अभिव्यक्ति प्रस्तुत करी।
– देख सखी सजन आज फिर भूखे ही चले गए।
सुबह 8 बजे तक ए.सी. की ठंडक भई और तनक आँख लगी थी। सपनों की भी तो सुबह-सुबह तभी लगी झंडी थी।
इसी क्रम में लखनऊ से जुड़ी डा0 महिमा सिंह ने पिता के लिए अपने हृदय के भाव व्यक्त किए। उनकी पंक्तिया *पापा की चुटकी बड़े कमाल की, हल कर देती बड़े से बड़े सवाल भी।
घर में उनके आते ही छाती थी चुप्पी, कुछ ना कहकर भी सब कुछ कहते थे पापा।*
सभी लोग भावुक हो उठे। यश जी ने कहा की आरंभ से खुशमिजाज और सभी की खुले ह्रदय से सराहना करने वाली शख्सियत इतनी भावुक और मन को छू देने वाली रचना कहने वाली हैं यह सोचा नही था। सभी को रचना बहुत पसंद आई।
– डा0 सुधीर श्रीवास्तवा जी ने मंच को एक अलग ही ऊँचाई प्रदान करी और सशक्त विषय उठाया और हम सब वाह वाह कर उठे। *मंथरा ही थी जो राम को मर्यादा पुरुषोतम राम बना गई।*
रुबल जी ने सभी के मन मस्तिष्क और हदय को झकझोर दिया अपनी प्रस्तुति से। हर आँख नम हो उठी बहुत ही सटीक ढंग से समाज को चेताने वाली *रचना, प्रस्तुत करी।
मार गिराई जालिमों ने ,
मैं चंद उम्र की बेटी थी।
कभी खेलती आंगन में, कभी आंचल में लेटी थी, क्यों मार गिराया बस इतना बता दो ,
इज्ज़त क्यों लूटी मेरी?*

इसी के साथ कार्यक्रम समापन की ओर बढ़ चला।
आदरणीय यश जी ने कहा, “यह बेहतरीन कार्यक्रम गूगल मीट पर तकरीबन सवा दो घंटे अविराम चला। समय का पता ही नहीं चला और सभी अंत तक मंच पर उपस्थित रहे यह भी एक खास बात रही।”
सभी की रचनाओं ने सबकी वाहवाही बटोरी।
स्मिता जी का संचालन बहुत ही सुंदर और आकर्षक रहा बीच बीच में सुंदर पंक्तियों से सभी को उन्होंने सराहा जिसने सभी के हृदय को छू लिया। कार्यक्रम की सबसे खास बात यह थी की कोई किसी को जानता नही था सभी लोग पहली बार मंच पर एक दूसरे से जुड़े और सभी प्रतियोगिता के विजेता थे तो सभी साहित्यकार एक से बढ़कर एक थे। सशक्त रचनाएं मंच पर शब्दों की सरिता बनकर निर्वाध बही और हम सभी को आनंद से सरोबार कर गयी। कार्यक्रम के अंत तक हम सबने एक दूसरे से अभिन्न जुड़ाव महसूस किया जिससे विदा लेना थोडा दुष्कर हो उठा, पर समय ठहरता नही और उसका भी सम्मान जरूरी। एक बार फिर मिलने का वादा यश जी और स्मिता जी से करके सभी अपनी-अपनी दुनिया की ओर वापस चल पड़े अगली मुलाकात के इंतजार में।

मेरी (डाक्टर महिमा सिंह) स्टोरीमिरर को समर्पित कुछ पंक्तिया–

हर किसी की, हर शै की होती है कोई ना कोई कहानी।
दिखाती है अक्स जाना पहचाना दर्पण सा हर एक कहानी।
स्टोरीमिरर मंच भी हमें मिलवाता है,
हमी से हम को ।
इस दर्पण में देख कर खुद को खुशनुमा फूल से हम खिल उठते हैं ,
भ्रमर सा गुंजन हृदय कर उठता है ।
ए! स्टोरीमिरर तू हम सब का,
अनूठा साहित्य सखा बन गया है,
अब तेरा और मेरा यह गठबंधन दोस्ती का मुझे है बहुत ही प्यारा और क्या कहूं !
स्टोरीमिरर तुम्हारे बारे में, मेरी छोटी सी जिंदगी का, एक बहुत ही खूबसूरत सा हिस्सा हो तुम।

शब्द मेरे मीत
डाक्टर महिमा सिंह
लखनऊ उत्तर प्रदेश