Saturday, May 18, 2024
बस्ती मण्डल

जयन्ती पर याद किये गये चन्द्रशेखर आजाद

बस्ती । चित्रांश क्लब द्वारा शनिवार को अजय कुमार श्रीवास्तव के संयोजन में देश के लिये सर्वस्व न्यौछावर कर देने वाले महान क्रान्तिकारी चन्द्रशेखर आजाद को उनके 116 वीं जयन्ती पर याद किया गया। रमा टेक्निकल डिग्री कालेज के परिसर में आयोजित कार्यक्रम में वक्ताओं ने कहा कि चंद्रशेखर आजाद ने संकल्प किया था कि वे न कभी पकड़े जाएंगे और न ब्रिटिश सरकार उन्हें फांसी दे सकेगी। इसी संकल्प को पूरा करने के लिए उन्होंने 27 फरवरी, 1931 को इसी अलफ्रेड पार्क, में स्वयं को गोली मारकर मातृभूमि के लिए प्राणों की आहुति दे दी, ऐसे वीर क्रांतिकारी चंद्रशेखर आजाद का योगदान युगों तक याद किया जायेगा।
क्लब संस्थापक राजेश चित्रगुप्त ने कहा कि चन्द्रशेखर आजाद के पिता का नाम पंडित सीताराम तिवारी एवं माता का नाम जगदानी देवी था। उनके पिता ईमानदार, स्वाभिमानी, साहसी और वचन के पक्के थे। यही गुण चंद्रशेखर को अपने पिता से विरासत में मिले थे। उन्होने देश को आजाद कराने के लिये सर्वोच्च बलिदान दिया। युवा पीढी को ऐसे वीर सपूत से सदैव प्रेरणा लेनी चाहिये। क्लब अध्यक्ष जी. रहमान ने कहा कि चन्द्रशेखर आजाद ने स्पष्ट संदेश दिया कि देश सबसे पहले हैं। ऐसे युवाओं के बलिदान से ही हमें आजादी मिली।
जयन्ती पर चन्द्रशेखर आजाद के व्यक्तित्व, कृतित्व पर अजय कुमार श्रीवास्तव, रत्नाकर आदर्श ने प्रकाश डाला। कहा कि चंद्रशेखर आजाद 14 वर्ष की आयु में बनारस गए और वहां एक संस्कृत पाठशाला में पढ़ाई की। वहां उन्होंने कानून भंग आन्दोलन में योगदान दिया था। 1920-21 के वर्षों में वे गांधीजी के असहयोग आंदोलन से जुड़े। वे गिरफ्तार हुए और जज के समक्ष प्रस्तुत किए गए। जहां उन्होंने अपना नाम ‘आजाद’, पिता का नाम ‘स्वतंत्रता’ और ‘जेल’ को उनका निवास बताया। उन्हें 15 कोड़ों की सजा दी गई। हर कोड़े के वार के साथ उन्होंने, ‘वंदे मातरम’ और ‘महात्मा गांधी की जय’ का स्वर बुलंद किया। आज हम यदि आजादी का अमृत महोत्सव मना रहे हैं तो उसका श्रेय चन्द्रशेखर आजाद जैसे क्रान्तिकारियों को जाता है जिन्होने देश के लिये अपना सर्वस्व बलिदान कर दिया।
चन्द्रशेखर आजाद को नमन करने वालों में मुख्य रूप से शेष नारायण गुप्ता, अमर सोनी, रणदीप माथुर, मो. मुजीब, दिनेश पाण्डेय आदि शामिल रहे।