Saturday, May 18, 2024
साहित्य जगत

कुछ वक्त बस यूं ही

यूं गुजर जाते हैं पीछे
मीठे मीठे लम्हे छोड़ जाते हैं।
इंतजार की कसक छोड़ जाते हैं !
ले जाते हो चैन और करार
कौन रुकता है किसी के लिए
कौन रहता है सदा के लिए
जिसका जितना साथ लिखा है !
उतना ही तो निभाएगा?
मगर इस दिल का क्या करें?
इसको कौन समझाए?
ज़िद्द कर बैठा हैं,फिर एक बार तेरे संग
बस यूं ही एक कप चाय पर
दिल खोलना है !
अबकी बार बस तू आ
तो जाए एक बार।
बांधना है ऐसे बंधन में
जो तोड़े से भी ना टूटे ।
बस यूं ही
तुझको चाहा है टूट कर।
इश्क की क्या कोई वजह होती है?
बस यूं ही अब दिल धड़कता है तेरे ही नाम से।

शब्द मेरे मीत
©डाक्टर महिमा सिंह
लखनऊ उत्तर प्रदेश