Wednesday, May 8, 2024
हेल्थ

जिन्‍दगी में रखना ध्‍यान, रक्‍त की कमी से न जाए किसी की जान

विश्‍व रक्‍तदान दिवस (14 जून) पर विशेष

-प्राकृतिक आपदा, बीमारियों में रक्‍त की कमी के चलते होती है दिक्कत

संतकबीरनगर। विश्‍व रक्‍तदान दिवस (14 जून )मनाने का मुख्य उद्देश्य है कि किसी भी व्यक्ति के जीवन को बचाने के लिएअगर उसको कभी अचानक रक्त की ज़रूरत पड़े, तो उसके जीवन के लिए सुरक्षित रक्तआसानी से उपलब्ध हो सके और उसकी जान बचाई जा सके। इसलिए ‘विश्व रक्तदान दिवस’समाज में लोगों को जागरूक करके स्वैच्छिक रूप से रक्तदान के लिए प्रेरितकरने के उद्देश्य से मनाया जाता है।

यह बातें मुख्‍य चिकित्‍सा अधिकारी डॉ इन्‍द्र विजय विश्‍वकर्मा ने कहीं। ब्‍लड ग्रुप की खोज करने वाले महान वैज्ञानिक कार्ल लैंडस्टीनर का जन्म14 जून 1868 को ऑस्ट्रिया के शहरवियाना में हुआ था। उन्होंने ही रक्त के विभिन्न समूहों का पता लगायाथा और यह जाना था कि एक व्यक्ति का खून बिना किसी जांच के दूसरे व्यक्ति कोनहीं चढ़ाया जा सकता है,क्योंकि हर एक व्यक्ति का ब्लड ग्रुप अलग-अलगहोता है। उनकेजन्मदिन14 जून को ‘विश्व स्वास्थ्य संगठन’ द्वारा हर साल ‘विश्व रक्तदानदिवस’ के रूप में वर्ष 2004 से मनाया जाता है।

रक्‍तदान से प्राकृतिक आपदा, दुर्घटना, हिंसा और चोटके कारण घायल,गंभीर बीमारी से ग्रसित व्यक्ति, प्रसव और नवजात बच्चों की देखभाल में रक्त की आवश्यकता, थैलीसीमिया जैसी गंभीर बीमारी से पीड़ित बच्चों को रक्त की आवश्यकता तथा समय-समय पर अन्य अनेक प्रकार की सुरक्षित रक्त की जरुरत पड़ती है। विश्‍व स्‍वास्‍थ्‍य संगठन के मुताबिक हर साल एक करोड़ यूनिट खून की जरुरत भारत में होती है। इसका मात्र 75 प्रतिशत ही पूरा हो पाता है। इसलिए हमें स्‍वैच्छिक रक्‍तदान को बढ़ावा देने की आवश्‍यकता है।

जिले में एक ब्‍लड बैंक, होता है रक्‍तदान

मुख्‍य चिकित्‍सा अधिकारी ने बताया कि जिले में एक ब्‍लड बैंक है। इस ब्‍लड बैंक में समय समय पर रक्‍तदान होता है। जिले की स्‍वयंसेवी संस्‍थाएं जैसे रोटरी क्‍लब, आर्ट आफ लिविंग, व्‍यापार मंडल, इंजीनियर्स संघ, एनएसएस, एनसीसी, रेडक्रास सोसायटी, स्‍काउट गाइड के साथ ही विभिन्‍न अस्‍पतालों के द्वारा रक्‍तदान का आयोजन होता है। हमारे यहां एक मोबाइल यूनिट है, जो कहीं पर भी जाकर रक्‍तदान शिविर आयोजित करवा सकती है।

रक्‍तदान करने से शरीर में होता है नए रक्‍त का निर्माण

एसीएमओ डॉ मोहन झा बताते हैं कि रक्तदान के सम्‍बन्‍ध मेंलोगों ने भी तरह-तरह की भ्रांतियां मन मेंपाल रखी हैं। अधिकतर लोगों में अब भी यह भ्रांति फैली हुई है कि एकबार याबारबार रक्तदान करने से शरीर में रक्त की भारी कमी हो जाती है, जो बिल्‍कुल झूठ है। रक्‍तदान से शरीर में रक्‍त की कोई कमी नहीं होती है, बल्कि रक्त बढ़ता है और शरीर मेंनये शुद्ध रक्त का संचार होता है। एक स्वस्थ मनुष्य में रक्तदान करने केबाद 21 दिनों के भीतर ही शरीर अपनी जरूरत के मुताबिक पुनः रक्त निर्माण करलेता है। इसलिए सभी को रक्‍तदान करना चाहिए।