Sunday, May 19, 2024
हेल्थ

जयंती पर याद किये गये होम्योपैथी के जन्मदाता सैमुएल हैनिमैन

जटिल रोगों में भी कारगर है होम्योपैथी-डा. वी.के. वर्मा

बस्ती। होम्योपैथी के जन्मदाता सैमुएल हैनिमैन की जयंती रविवार को पटेल एस.एम.एच. हास्पिटल एण्ड आयुष पैरा मेडिकल कालेज गोटवा में विश्व होम्योपैथी दिवस के रूप में मनाया गया। प्रबंधक डा. वी.के. वर्मा, डाक्टर और छात्रों ने सैमुएल हैनिमैन के चित्र पर माल्यार्पण कर उन्हें नमन् किया। इसके बाद आयोजित कार्यक्रम में डा. वर्मा ने आयुष छात्रों को सैमुएल हैनिमैन और होम्यापैथी औषधियों के कारगर प्रयोग की विस्तार से जानकारी दिया। कहा कि होम्योपैथी अब भारत सहित पूरी दुनियां में मरीजों के साथ ही असाध्य रोगों का भी कारगर उपचार कर रही है।


डा. वर्मा ने बताया कि सैमुएल हैनिमैन का जन्म 1755 में हुआ था। वह यूरोप देश के जर्मनी के निवासी थे वे एलोपैथी के चिकित्सक थे साथ में बहुत सारी यूरोपियन भाषाओं के ज्ञाता भी थे । उनके पिताजी एक पेंटर थे उनके परिवार की आर्थिक स्थिति कमजोर थी । स्कूली शिक्षा के बाद एक मेडिकल की तैयारी करने के लिए कॉलेज गए इनकी पारिवारिक स्थिति कमजोर होने के कारण इन्हें परेशानी का सामना करना पड़ा इनके कॉलेज के एक अध्यापक ने इनकी गरीबी को देखकर इनकी पढ़ाई में इनका सहयोग किया और पैसे की तंगी के बाद भी इनकी पढ़ाई लगातार चलती रही जब उन्होंने मेडिकल कंप्लीट किया तो इन्हें प्रेक्टिस करना था प्रेक्टिस करने के लिए ये गांव गांव में प्रैक्टिस करने लगे लेकिन प्रेक्टिस करने के दौरान उन्हें उस समय की चिकित्सा प्रणाली ठीक नहीं लगी क्योंकि उस समय आधुनिक तरह-तरह से चिकित्सा करने की प्रणालियों की कमी थी जिस वजह से उन्होंने अपनी प्रेक्टिस को बीच में ही छोड़ दिया और होम्योपैथी चिकित्सा का वरदान समूचे विश्व को दिया।
छात्रों के प्रश्नों का उत्तर देते हुये डा. वर्मा ने बताया कि होम्योपैथी लक्षणों पर आधारित चिकित्सा पद्धति है और इसके द्वारा अनेक असाध्य रोगों को दूर किया जा सकता है। भारत सहित दुनियां भर में इसके लाखों प्रमाण है। डा. वर्मा ने बताया कि कोरोना में भी आर्सेनिक अलबम, होम्योपैथ का चिरैता कारगर साबित हो रहा है। मरीजों को चिकित्सक से परामर्श लेकर ही औषधि लेना चाहिये।
सैमुएल हैनिमैन की जयंती पर आयोजित कार्यक्रम में मुख्य रूप से डा. बी.बी. मिश्र, डा. आलोक रंजन वर्मा, डा. आर.एन. चौधरी, डा. अजय पटेल, डा. मनोज मिश्र, डा. लालजी यादव, डा. रीतेश चौधरी, डा. आशुतोष, डा. चन्द्रा सिंह, डा. अनीता वर्मा, फूलचन्द चौधरी, अंकुर पाण्डेय, शिव प्रसाद चौधरी, शिवशंकर, मनीष वर्मा, धु्रवचन्द्र, रामभजन, मनोज गुप्ता, रामस्वरूप, गोल्डी, मनीषा, सतीश के साथ ही छात्र शामिल रहे।