Tuesday, July 2, 2024
साहित्य जगत

विश्व दुग्ध दिवस पर विशेष

पशु है धरा का श्वेत सोना ।
गाय माता मे समाया सारा संसार।
दुग्ध आहार है
पोषण का आधार ।
गाय हुयी पराई सी
होता इस कलि काल मे उसका नित अपमान
लगता हमे है की!
हुआ समाज उन्नात, पर! देखो हुआ है, क्या हाल!

गाय का दूध है श्वेत अमृत देता पोषण अपार।
पर देखो आज हम सब तरसे शुद्ध दूध को ।
हम ही जिम्मेदार पीने को विष जो बिक रहा थैली में सरेबजार।

क्यों मुंदे बैठे हैं हम अखियां अपनी ।
करते सरलता से हर बात की अनदेखी सब चलता है यह व्यवहार हमे ले ही डुबेगा पशु देखते नीरीह आँखो से माँगते हमसे अपने लिए प्यार और सम्मान।

… है ये वही धरती
जहां भगवान भी आकर गइया चराते हैं
गोपालक बन कार ये सिखलाते है धर्म में सबसे बड़ा पालों इन्हें बनो धनवान

गाय के गोबर से लीपकर
आंगन करते थे तुम पवित्र
है विराजती वैज्ञानिकता इसमें ये भी तुम अब भूलें।
करते पावन घर आंगन इससे और गौर भी बनाकर तुम इसी से पूजते क्या यह भी भूले?
हर हवन पूजन में तुम फिर ढूंढते क्यूं फिर रहे पावन उपले। बना लो नियम
लो तुम ये ठान!
हरा चारा करो तुम दान
जाओ कम से कम माह
में एक बार तो गौशाला
दो उन्हें एक प्यारा सा नाम।
धन्य महाराज परीक्षित
कर दिए बलिदान जिन्होंने अपने सारे पुण्य गौ सेवा हेतु जिससे रहे चारों पैर
गौ माता के कैसे फिर तुम उस पग को देते हो बांध
क्या हाथ भी नहीं कापते तुम्हारे। मत करो अधर्म
हे मिटाती वो क्षुधा तुम्हारी
दो उसे मां का सम्मान महिमा कर रही यही निवेदन
कर लो तुम स्वीकार।

©डाक्टर महिमा सिंह
लखनऊ (,उत्तर प्रदेश)