Tuesday, June 11, 2024
साहित्य जगत

फादर्स डे

फादर्स डे

हे पिता!
जो कुछ भी आज हूं,
मैं आप ही का अंश हूं !
छत्रछाया में पली हूं
आप का प्रतिबिंब हूं
पथ प्रदर्शक, मार्ग दर्शक
आप ही, मेरे बने
आप के आदर्श राहों
पर, हैं मैंने पग धरे।
मौन रखकर भी मुझे
बस आप ने समझा मुझे
हर खुशी करके न्यौछावर
लाडों से पाला मुझे
सत्य को जीना है कैसे
कैसे लड़ना असत् से?
कर्म करना है मुझे ?
कैसे ?ढृढ़ता कर्तव्य से?
रिश्ते कैसे हैं निभाने
सीखा मैंने आप से ।
संस्कारों को बचाना
मैंने सीखा आप से!
आप के चरणों में वंदन
मैं, सदा नित- नित करूं
आप का आशीष सिर -माथे
मैं निज- निज धरूं
आप हैं सूर्य भान और
मैं तेज से तेरी खिलूं
मैं “सरोज” जग को
सुगन्धित , पुष्टिवर्धित
संदेश दूं।
आप की कुल वंशिका ,
मैं आप का अभिमंत्र हूं
हे पिता!
जो कुछ भी आज हूं
आप ही का अंश हूं!

आर्यावर्ती सरोज “आर्या”
लखनऊ (उत्तर प्रदेश)