Wednesday, July 3, 2024
बस्ती मण्डल

पराली के बेहतर प्रबंधन से किसानों को होगा आर्थिक लाभ- सोनिया

संतकबीरनगर। राजकीय कन्या इंटर कॉलेज खलीलाबाद संत कबीर नगर की शिक्षिका सोनिया ने पराली जलाने की समस्या पर अपना विचार देते हुए कहा कि पराली धान की फसल कटने के बाद बचा बाकी हिस्सा होता है जिसकी जड़ें धरती में होती हैं किसान पकने के बाद फसल का ऊपरी हिस्सा काट लेते हैं क्योंकि वही काम का होता है बाकी अवशेष होते हैं जो किसान के लिए बेकार होता है और वह सूखी पराली को जला देते हैं
पराली जलाने से वायु प्रदूषण का स्तर तेजी से बढ़ रहा है और पिछले कुछ सालों में यह एक नई समस्या के रूप में उत्पन्न हो गया है। पराली जलाने से उनमें से निकलने वाला धुआं पर्यावरण को प्रदूषित करता है । पराली को जलाने से निकलने वाली कार्बन मोनोऑक्साइड तथा कार्बन डाइऑक्साइड गैस से ओजोन परत फट रही है इससे अल्ट्रावायलेट किरणें जो त्वचा के लिए घातक सिद्ध हो सकती हैं सीधे धरती पर पहुंच जाती हैं इस के धुए से आंखों में जलन होती है सांस लेने में दिक्कत हो सकती है तथा फेफड़े की बीमारियां हो सकती हैं पराली जलाने से निकलने वाली जहरीली गैसों से स्वास्थ्य को तो हानि होती ही है साथ ही धरती का तापमान भी बढ़ता है जिसके गंभीर दुष्परिणाम सामने आ सकते हैं
पराली जलाने से कृषि में सहायक केचुआ अन्य सूक्ष्मजीव भी नष्ट हो जाते हैं जिसके कारण फसलों की पैदावार घट सकती हैं तथा देश में खाद्य संकट उत्पन्न हो सकता है किसान भाई पराली का कई तरह से उपयोग कर सकते हैं जैसे पराली का प्रयोग पशुओं के चारे के रूप में प्रयोग में ला सकते हैं। गत्ता बना सकते हैं पराली को बेचा भी जा सकता है और साथ ही साथ इसका कंपोस्ट खाद बनाकर उसका प्रयोग खेती में किया जा सकता है
पराली को किसान बेकार समझते हैं उसे वह आय का स्रोत भी बना सकते हैं पराली को पैकेजिंग में प्रयोग किया जा सकता है विभिन्न कंपनियां पराली को स्ट्रा बनाने में उपयोग कर रही हैं। हमारे किसान भाइयों की यह जटिल समस्या रहती हैं कि उनके पास आय का कोई दूसरा साधन नहीं रहता है तो ऐसी स्थिति में पराली उनके लिए वैकल्पिक स्रोत बन सकती है काफी मेहनत करने के बाद भी किसान को उनकी फसल का सही मुनाफा नहीं मिलने की वजह से कई किसान खेती करना ही छोड़ दे रहे हैं और कुछ किसान कर्ज के बोझ की वजह से आत्महत्या तक कर लेते हैं जो अत्यंत दुखद है
तो अब किसान भाइयों को खेती के स्थाई तरीकों से किस तरह से मुनाफा कमाया जाए इस बारे में भी सोचना होगा पराली को किसान पशुपालको को भी बेच सकते हैं। डेयरी संचालकों को बेच कर मुनाफा कमा सकते हैं। पराली का उपयोग कागज, कार्डबोर्ड, जानवरों का चारा बनाने में किया जा सकता है। धान झाड़ने के बाद पराली के पुलो को छोटे-छोटे गट्ठर बनाकर रख सकते है। जिस को काटकर पशुओं को चारे में मिलाकर उसे खिलाया जाता है। जिससे पशु बड़े चाव से खाते हैं इसको पशु दूध और गोबर में परिवर्तित कर देते हैं और इस प्रक्रिया से कोई प्रदूषण भी नहीं होता है यह जैविक खाद के रूप में प्रयोग किया जाता है। पराली को पशुओं का सूखा बिछावना बनाने के काम में भी आता है । जिससे पशुओं को रात में सर्दी नहीं लगती है और रात भर उनके नीचे सूखा रहता है जिससे वह चैन से सोते हैं और ज्यादा स्वस्थ रहते हैं तथा दूध भी ज्यादा देते हैं ।सुबह को पराली, गोबर, के इस मिश्रण को इकट्ठा करके किसान कूड़े पर डाल देते हैं और जहां कुछ माह बाद इसका अच्छा जैविक खाद बन जाता है इस प्रकार बिना किसी प्रदूषण के पराली का आर्थिक लाभ भी होता है
पराली के उचित प्रबंधन से किसान ज्यादा आय कमाने के साथ-साथ प्रदूषण की समस्या को भी हल कर सकते हैं। इस प्रकार धान की पराली का उचित प्रबंधन, इस्तेमाल, तथा निस्तारण बहुत ही सरल, जैविक और प्रदूषण रहित तरीके से हो सकता है पराली के महत्व पर प्रकाश डालते हुए राजकीय कन्या इंटर कॉलेज खलीलाबाद की शिक्षिका सोनिया ने किसान भाइयों से अपील की कि वह पराली को जलाएं नहीं बल्कि उसका जैविक खाद बनाएं जिससे भूमि की उर्वरा शक्ति बनी रहेगी और प्रदूषण की समस्या से निजात मिलेगी।