Saturday, May 18, 2024
हेल्थ

110 साल की बुजुर्ग ने पहली बार किया फाइलेरिया रोधी दवा का सेवन

– बुजुर्ग के दवा खाने के बाद परिवार में भी नहीं रहा दवा का खौफ

बस्ती। विक्रमजोत ब्लॉक के शंकरपुर गांव में एक 110 साल की बुजुर्ग महिला ने जीवन में पहली बार फाइलेरिया की दवा का सेवन किया है। महिला का कहना था कि दवा के नाम से उन्हें डर लगता था। आशा कार्यकर्ता व अन्य लोगों ने उन्हें जब फाइलेरिया की दवा का फायदा बताया तो उन्हें लगा कि खुद भी दवा खानी चाहिए और अपने घर वालों को भी दवा खाने के लिए कहना चाहिए। बुजुर्ग को दवा खिलाने के बाद आशा कार्यकर्ता ने उनके स्वास्थ्य पर 24 घंटे तक नजर रखी, लेकिन उन्हें किसी तरह की परेशानी नहीं हुई। दवा खाने वाली बुजुर्ग अब अन्य लोगों को दवा खाने की सलाह दे की ताकीद कर रही हैं।

आशा कार्यकर्ता मंजू मौर्या की टीम गांव निवासी बुजुर्ग जन्नतुन्निसा के घर फाइलेरिया की दवा खिलाने पहुंची तो जन्नतुन्निसा ने बताया कि उन्होंने अपने जीवन में कभी दवा का सेवन नहीं किया है। उन्हें दवा से होने वाले नुकसान से डर लगता है। टीम ने उन्हें बताया कि इस दवा का शरीर पर किसी तरह का दुष्प्रभाव नहीं पड़ता है। यह हाथीपांव मर्ज की दवा है। पांच साल तक लगातार अगर यह दवा साल में एक बार खा ली जाए तो उस व्यक्ति को फाइलेरिया या हाथीपांव का मर्ज नहीं होता है। अगर शरीर में पहले से इस रोग के बैक्टीरिया मौजूद होते हैं तो दवा खाने से यह निष्क्रिय हो जाते हैं। समझाने के बाद वह दवा खाने के लिए तैयार हो गईं। बुजुर्ग सहित उनके घर में सात लोग हैं। सभी को दवा खिलवाई गई। टीम में पीसीआई के एसएमसी आशीष कुमार सिंह भी शामिल रहे।

दो साल से ऊपर वालों को देनी है दवा
जिला मलेरिया अधिकारी आईए अंसारी ने बताया कि फाइलेरिया की दवा दो साल से ऊपर वालों को ही खिलानी है। दो साल तक के बच्चों, गर्भवती व अत्यंत बुजुर्ग व बीमार व्यक्ति को दवा नहीं खिलाई जाएगी।
उन्होंने बताया कि देश से वर्ष 2025 तक फाइलेरिया का खात्मा करना है। यह एक विशेष प्रकार की मादा मच्छर के काटने से फैलता है। एक बार फाइलेरिया का रोग हो जाने पर यह पूरी तरह ठीक नहीं होता है। हाथीगांव व अंडाशय सूजने की समस्या होती है। रोग से बचाव ही सबसे अच्छा उपाय है।