Sunday, June 30, 2024
हेल्थ

जनपद में साढ़े चार लाख से अधिक ज्यादा को लग चुका है टीका, किसी को नहीं हुई गंभीर शिकायत

– जिले में लगाया जा रहा कोविशील्ड व कोवैक्सीन पूरी तरह सुरक्षित

बस्ती जिले में अब तक साढ़े चार 4.5 लाख से ज्यादा लोगों को कोविड का टीका लग चुका है। किसी भी लाभार्थी में गंभीर दुष्प्रभाव (रिएक्शन) रिएक्शन की शिकायत अभी तक देखने को नहीं मिली है। इसी साल जनवरी से टीकाकरण कार्यक्रम सफलतापूर्वक संचालित किया जा रहा है। यह बातें एसीएमओ, जिला प्रतिरक्षण अधिकारी डॉ. एफ हुसैन ने बताई। डॉ. हुसैन ने बताया कि अभी तक जिले में चार या पांच लोगों द्वारा टीका लगने के बाद मामूली रिएक्शन की शिकायत की गई, जिसमें दिल घबराना या चक्कर आने की शिकायत थी। कुछ समय बाद वह लोग स्वतः ठीक भी हो गए। किसी को भी सीवियर (गंभीर) रिएक्शन नहीं हुआ है।

मुंडेरवा थाना क्षेत्र के कोहड़वा गांव में जिस युवक के टीका लगवाने के दूसरे दिन उसकी अनहोनी मौत की बात कही जा रही है, उससे टीके से कोई संबंध नहीं है। टीका लगने के बाद वह घर पर आराम से था। रात में उसे उल्टी-दस्त की शिकायत हुई, और दूसरे दिन सुबह उसकी मौत हो गई। समय से इलाज न मिल पाने के कारण उसके शरीर से ज्यादा पानी निकल जाने के कारण किडनी फेल होने की ज्यादा संभावना जताई जा रही है। डॉ. हुसैन ने बताया कि जिले में कोविशील्ड व कोवैक्सीन का टीका लगाया जा रहा है। इस समय 18 साल से लेकर अत्यंत बुजुर्ग तक को टीका लगाया जा रहा है। केवल उन लोगों को छोड़कर जिन्हें किसी तरह के टीके से पहले शिकायत रही है, या जो कोविड पॉजिटिव हो गए हैं, उन्हें टीका नहीं लगवाना है। कोविड पॉजिटिव होने के तीन माह बाद टीका लगवाया जा सकता है।

आधे घंटे तक रखा जाता है आब्जर्वेशन में
टीका लगने के बाद लाभार्थी को कम से कम आधे घंटे तक आब्जर्वेशन में रखा जाता है। अगर कोई समस्या होनी होगी तो इस दौरान शुरू हो जाती है। इसके बाद भी पांच-छह घंटे में किसी तरह की समस्या की संभावना होती है। ऐसी दशा में तत्काल 108 एम्बुलेंस की मदद से मरीज को नजदीकी अस्पताल तक पहुंचाया जा सकता है।

को- इंसीडेंट के मामलों से रहें सावधान
अगर कोई व्यक्ति हृदय रोगी है, तथा कोविड का टीका लगवाने के बाद उसे हार्ट अटैक होता है तो ऐसे मामलों को को-इंसीडेंट कहा जाता है। इसे टीके के रिएक्शन से जोड़कर नहीं देखना चाहिए। इसी तरह अगर कोई लाभार्थी पहले से किसी गंभीर बीमारी का शिकार है तथा टीका लगवाने के बाद उसकी मौत हो जाती है तो मौत का कारण उक्त बीमारी को मानना चाहिए, न की कोविड के टीके को। लोगों को इस भ्रम को दूर कर टीके पर भरोसा करना चाहिए।