Saturday, June 1, 2024
साहित्य जगत

हमने पर्यावरण…..

हमने पर्यावरण का इतना किया विनाश।
फिर भी अपनी भूल का हमें नहीं एहसास।
इच्छा होती है नहीं करूं किसी से बात।
अपने स्वजनों से नहीं आज मिलाते हाथ।
अब सामूहिक भोज का कौन करें उपभोग।
शक की नजरों से हमें देख रहे हैं लोग।
कोरोना ने कर दिया ऐसा हमें तबाह।
अब तो जीवन में नहीं रहा तनिक उत्साह।
पहले जैसा है नहीं जीवन अब स्वच्छंद।
कोरोना ने कर दिया खुशियों का पथ बंद।
डॉ. वी. के. वर्मा
चिकित्साधिकारी
जिला चिकित्सालय बस्ती