Tuesday, May 7, 2024
बस्ती मण्डल

तपिस व उमस भरी गर्मी में 10 साल के बच्चों से लेकर 80 साल तक के बुजूर्ग रोजा रखकर कर रहे इबादत

कुदरहा/बस्ती।तपती गर्मी भी खुदा की इबादत करने वालों का इरादा नहीं डिगा पा रही है। यही वजह है कि उमस और तपन भारी गर्मी में भी दिनभर 15 घंटे भूखे-प्यासे रहकर 10 वर्ष के बच्चों से लेकर 80 वर्षीय बुजुर्ग तक रमजान के रोजे रख रहे हैं। मुस्लिम समाज का सबसे बड़ा व सबसे लंबा चलने वाला त्योंहार पाक माह रमजान हैं। रमजान माह की इबादत कई महीनों की इबादत से अफजल होती हैं। इस माह में रोजे का खास महत्व होता हैं। रोजा हर बालिग औरत, मर्द, बच्चे, बूढ़े पर फर्ज हैं। रोजेदारों के लिए उम्र की कोई बाधा नहीं हैं। वैसे तो इस्लाम के मुताबिक बच्चों को 10 वर्ष के बाद बालिग होने पर ही रोजा फर्ज होता हैं। लेकिन इस गर्मी में रोजा रखने वालों में मासूम बच्चों से लेकर 80 वर्ष तक के बुजूर्ग भी शामिल हैं। बच्चों में रोजा रखने की चाह इतनी ज्यादा रहती है कि परिजन के इंकार करने पर भी वह रोजा रखते हैं। इस भीषण गर्मी में भी बच्चें रोजा रखने को तैयार है और 15 घंटे भूखे-प्यासे रहकर रोजा रख रहे हैं। इसी तरह बुजूर्ग भी अपनी जिंदगी के आखिरी पड़ाव पर होने के बावजूद रोजा नहीं छोड़ते।
ऐसे ही हमारी मुलाकात बहादुरपुर विकास खंड के बहादुरपुर गवइया के एक 75 वर्षीय महिला हबीबुन्निशा पत्नी स्व. मोहम्मद शमी से हुई जो जिंदगी के आखिरी पड़ाव पर रोजा रख रही है।
पूछने पर हबीबुन्निशा ने बताया कि इस उम्र में रोजा रखना बहुत कठिन होता है लेकिन रोजा रखने का एक हौसला है जिसमे उम्र कोई रुकावट नही है।