Saturday, May 18, 2024
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राष्ट्रीय सुरक्षित मातृत्व दिवस आज- गर्भवती की करें देखभाल जिससे जच्चा-बच्चा रहें खुशहाल

– पीएम मातृ वंदना योजना के तहत तीन किश्तों में मिलता है पांच हजार रुपए

बस्ती। मातृ स्वास्थ्य को सुदृढ़ बनाने पर सरकार व स्वास्थ्य विभाग का विशेष जोर है। जच्चा-बच्चा को सुरक्षित बनाने का हरसंभव प्रयास किया जा रहा है, जिससे मातृ एवं शिशु मृत्यु दर को न्यूनतम स्तर पर लाया जा सके। समुदाय को जागरूक कर सुविधाओं का लाभ उठाने के लिए प्रेरित करने के लिए हर वर्ष 11 अप्रैल को ‘सुरक्षित मातृत्व दिवस’ मनाया जाता है।
एसीएमओ आरसीएच डॉ. सीके वर्मा ने बताया कि गर्भवती की प्रसव पूर्व मुफ्त जांच के लिए पीएम सुरक्षित मातृत्व अभियान के तहत हर माह की नौ तारीख को स्वास्थ्य केंद्रों पर विशेष आयोजन होता है। एमबीबीएस चिकित्सकों द्वारा गर्भवती की सम्पूर्ण जांच नि:शुल्क की जाती है। जटिलता नजर आने पर एचआरपी के तहत उन्हें चिन्ह्ति कर गर्भवती पर खास नजर रखी जाती है। पहली बार गर्भवती होने पर प्रधानमंत्री मातृ वंदना योजना के तहत पोषण और उचित स्वास्थ्य देखभाल के लिए तीन किस्तों में पांच रुपए दिए जाते हैं। संस्थागत प्रसव को बढ़ावा देने के लिए जननी सुरक्षा योजना संचालित है। सरकारी अस्पतालों में प्रसव कराने पर ग्रामीण महिलाओं को 1400 रुपए और शहरी क्षेत्र की महिलाओं को एक हजार रुपए दिए जाते हैं। प्रसव के तुरंत बाद बच्चे की उचित देखभाल के लिए जननी शिशु सुरक्षा कार्यक्रम संचालित है। यदि किसी कारणवश मां की प्रसव के दौरान मृत्यु हो जाती है तो मातृ मृत्यु की समीक्षा भी होती है। सुरक्षित प्रसव के लिए समय से घर से अस्पताल पहुंचाने और अस्पताल से घर वापस भेजने के लिए एम्बुलेंस सेवा भी उपलब्ध है।

जच्चा-बच्चा को सुरक्षित बनाने को चल रहीं योजनाएं
जच्चा-बच्चा को सुरक्षित बनाने के लिए ेकई योजनाएं चल रहीं हैं। इनका प्रचार-प्रसार भी किया जा रहा है। आशा कार्यकर्ता इसमें अहम् भूमिका निभा रहीं हैं। डॉ. वर्मा का कहना है कि मां-बच्चे को सुरक्षित करने का पहला कदम यही होना चाहिए कि गर्भावस्था के तीसरे-चौथे महीने में प्रशिक्षित चिकित्सक से जांच अवश्य कराए। किसी भी जटिलता का पता चलते ही उसके समाधान का प्रयास किया जाएगा। गर्भवती खानपान का खास ख्याल रखे और खाने में हरी साग-सब्जी, फल आदि का ज्यादा इस्तेमाल करे, आयरन और कैल्शियम की गोलियों का सेवन चिकित्सक के बताए अनुसार करें। सुरक्षित प्रसव के लिए पहले से ही निकटतम अस्पताल का चयन कर ले। मातृ-शिशु सुरक्षा कार्ड, जरूरी कपड़े और एम्बुलेंस का नंबर याद रखना चाहिए । समय का प्रबंधन अहम् होता है। आशा कार्यकर्ता गर्भ का पता चलते ही गर्भवती का स्वास्थ्य केंद्र पर पंजीकरण कराने के साथ ही इस दौरान बरती जाने वाली जरूरी सावधानियों के बारे में जागरूक करने में सच्ची सहेली की भूमिका अदा करती हैं।