Thursday, May 2, 2024
व्रत/त्यौहार

संतान प्राप्ति में बाधा आ रही है तो विशेष आराधना करिए मां स्कंदमाता की . ज्योतिषाचार्य पंडित अतुल शास्त्री

नवरात्रि का पाँचवाँ दिन स्कंदमाता की उपासना का दिन होता है। देवी दुर्गा का पाँचवा स्वरूप “स्कंद माता” माँ का आशीर्वाद रूप है। देवासुर संग्राम के सेनापति भगवान स्कन्द की माता होने के कारण मां दुर्गा के पांचवे स्वरूप को स्कंदमाता के नाम से जानते हैं। देवी स्कन्द माता ही हिमालय की पुत्री पार्वती हैं, जिन्हेंा माहेश्वरी और गौरी के नाम से भी जाना जाता है। यह पर्वत राज की पुत्री होने की वजह से पार्वती कहलाती हैं, महादेव की वामिनी यानी पत्नी होने से माहेश्वरी कहलाती हैं और अपने गौर वर्ण के कारण देवी गौरी के नाम से पूजी जाती हैं। गोद में स्कन्द यानी कार्तिकेय स्वामी को लेकर विराजित माता का यह स्वरुप जीवन में प्रेम, स्नेह, संवेदना को बनाए रखने की प्रेरणा देता है। भगवान स्कंद ‘कुमार कार्तिकेय’ नाम से भी जाने जाते हैं। पुराणों में स्कंद को कुमार और शक्ति कहकर इनकी महिमा का वर्णन किया गया है।

देवी स्कन्दमाता की चार भुजाएं हैं, इनमें से जहां माता अपने दो हाथों में कमल का फूल धारण करती हैं और एक भुजा में भगवान स्कन्द या कुमार कार्तिकेय को सहारा देकर अपनी गोद में लिए बैठी हैं, वहीं माँ का चौथा हाथ भक्तों को आशीर्वाद देने की मुद्रा में है। पंचमी तिथि के दिन माँ स्कंदमाता की पूजा करके भगवती दुर्गा को केले का भोग लगाएं और यह प्रसाद ब्राह्मण को दे दें। ऐसा करने से मनुष्य की बुद्धि का विकास होता है। माँ स्कंदमाता सूर्यमंडल की अधिष्ठात्री देवी है, अत: इनका पसंदीदा रंग भी तेज से परिपूर्ण अर्थात नारंगी है। इस दिन नारंगी रंग का प्रयोग शुभ फल प्रदान करता है। इस दिन साधक का मन विशुद्ध चक्र में अवस्थित होना चाहिए जिससे कि ध्यान वृत्ति एकाग्र हो सके। यह शक्ति परम शांति व सुख का अनुभव कराती है।

माँ स्कंगदमाता की उपासना करने के लिए निम्ना मंत्र की साधना करना चाहिए:

मंत्र:- या देवी सर्वभू‍तेषु माँ स्कं्दमाता रूपेण संस्थिता। नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:।।

यदि संतान प्राप्ति में कठिनाई हो रही है या फिर बार बार प्रयास के बाद भी असफलता प्राप्त हो रही है तो कुंडली की जाँच कराएं और “बाधक ग्रह की शांति” कराएं. साथ ही “स्कंद माता का अनुष्ठान” बहुत लाभकारी अनुष्ठान है. ऐसा देखा गया है कि इस अनुष्ठान से कई बार कुंडली में संतान योग ना होने पर भी संतान सुख मिल जाता है.

जो व्यक्ति राजनैतिक महत्वकांक्षा रखते है और गृह गोचर उनका साथ नहीं दे रहे है तो “माँ भगवती विश्वेश्वरी ” का अनुष्ठान कराएं. यदि चुनावलड़ रहे है तो “माँ अपराजिता का अनुष्ठान ” कराएं. यदि आप शत्रु बाधा से परेशान है और आपका जीवन कठिन हो गया हो तो “माँ बंगलामुखी का अनुष्ठान” कराएं.

यदि आप निरपराध है या कारावास का भय है तो “बंदीदेवी का अनुष्ठान “कराएं. जीवन में धन धान्य, उन्नति, ऐश्वर्य, समृद्धि के लिए “माँ लक्ष्मी अनुष्ठान ” या “कुबेर लक्ष्मी का अनुष्ठान” कराएं.

इस बात का ख़ास ख्याल रखें कि यदि आप जीवन में समस्या का समाधान या जीवन में परिवर्तन चाहते हैं तो इसका कोई छोटा मार्ग नहीं है. इसके लिए विशेष योग, विशेष प्रयास और समय की आवश्यकता होती ही है. इससे बड़ी से बड़ी समस्या का समाधान किया जा सकता है क्योंकि यह सभी अनुष्ठान अत्यंत सुख परिणाम देने वाले है।”

ज्योतिष सेवा केन्द्र
ज्योतिषाचार्य पंडित अतुल शास्त्री
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