Sunday, April 21, 2024
व्रत/त्यौहार

मकर संक्रांति पर सूर्य उत्तरायण का होता है-डॉ महिमा सिंह

मकरसंक्रांति पर्व पर विशेष

भारतीय संस्कृति में धर्म दर्शन चिरकाल से भगवान भास्कर को जीवनदाता मानता है और वर्तमान समय में वैज्ञानिक भी सूर्य भगवान की विलक्षण शक्तियों एवं इससे होने वाले चमत्कारी लाभ के आगे नतमस्तक हैं भगवान भास्कर एवं मानव हृदय का एक दूसरे से अटूट संबंध है सौर्य मंडल में घटने वाली समस्त घटनाएं पृथ्वी पर मानव जीवन को पूरी तरह से प्रभावित करती हैं। भारतीय संस्कृति में तीज त्यौहार के लोकाचार हमारे समाज के उद्धार के लिए ही बनाए गए हैं प्रत्येक त्यौहार में कोई न कोई लाभ अवश्य छुपा हुआ है हमें बस उसे ही पहचानना है और उसको आगे पीढ़ी दर पीढ़ी बढ़ाते जाना है।
मकरसंक्रांति पर्व को यदि सरल भाषा में समझा जाए तो जब भी भगवान भास्कर उत्तरायण होकर मकर रेखा पर आते हैं तो वह दिन 14 जनवरी होता है उस दिन मकर संक्रांति मनाई जाती है ज्योतिष की दृष्टि से यदि से समझे तो भगवान भास्कर इस दिन धनु राशि को छोड़कर मकर राशि में प्रवेश करते हैं और उत्तरायण की गति प्रारंभ होती है अर्थात अंधकार से उजाले की ओर बढ़ते हैं वर्ष भर में 12 राशियों में सूर्य के 12 संक्रमण होते हैं और जब यह मकर राशि में प्रवेश करता है तो वह संक्रमण काल ही संक्रांति कहलाता है भारतवर्ष के विभिन्न हिस्सों में मकर संक्रांति के पर्व को अलग-अलग ढंग से मनाया जाता है एवं उनके अलग-अलग नाम है आंध्र प्रदेश केरल कर्नाटक में इसको संक्रांति तमिलनाडु में पोंगल और पंजाब हरियाणा में लोहड़ी के नाम से हर्ष उल्लास से मनाया जाता है वही असम में इसे भी बीहूं के नाम से मनाया जाता है। हर जगह मनाने के तरीके अवश्य अलग-अलग हैं मगर गुड़ तिल खिचड़ी लगभग सभी जगह खाने का महत्व है। यह सारी वस्तुएं सर्दियों में खाने से लाभ पहुंचाती हैं। सूर्य के उत्तरायण होते ही देवों के ब्रह्म मुहूर्त ,उपासना का पावन पुण्य काल आरंभ हो जाता है इस काल को ही साधना सिद्धि का काल माना गया है इस काल में सारे पुनीत पावन कार्य किए जाते हैं। मकर संक्रांति को स्नान दान का पर्व माना गया है इस दिन तीर्थ एवं पावन नदियों के जल में स्नान का भी बहुत ही विशेष महत्व है साथ ही तिल खिचड़ी गुड आदि का दान भगवान भास्कर को प्रसन्न करने का सरल माध्यम माना गया है ।मकर संक्रांति पर पतंगबाजी का अपना एक विशेष महत्व है कई स्थानों पर पतंगबाजी की प्रतियोगिता रखी जाती है आज के दिन भगवान आशुतोष ने नारायण को आत्म ज्ञान प्रदान किया था। आज से ही देवों के दिनों की गणना आरंभ होती है। सूर्य भगवान जब दक्षिण में रहते हैं तो उस अवधि को देवों की रात्रि और जब वह 6 माह उत्तरायण में रहते हैं तो उस अवधि को देवताओं का दिन कहा जाता है। संक्रांति से ही मौसम बदलने लगता है रातें छोटी और दिन बड़े होने लगते हैं। सूर्य के उत्तरी गोलार्ध में आने से ग्रीष्म ऋतु का आरंभ माना जाता है। हमारे हिंदू धर्म में प्रत्येक माह को दो भागों में बांटा गया है पन्द्रह पन्द्रह दिवस के शुक्ल पक्ष और कृष्ण पक्ष ।इसी प्रकार वर्ष को भी दो भागों में बांटा गया है पहले ६ माह का अ यन अर्थात उत्तरायण और दूसरे ६ माह का अयन अर्थात दक्षिणायन ।दोनों को मिलाकर 1 वर्ष माना गया है ‌।भारत के अन्य त्यौहार जहां कथाओं कहानियों पर आधारित है वही मकर संक्रांति एक खगोलीय घटना है। हिंदू धर्मावलंबियों में इसका महत्व ठीक वैसे ही है जैसे वृक्षों में पीपल हाथियों में एरावत, नदियों में गंगा का है ।यह एक ऐसा पर्व है जिसे संपूर्ण राष्ट्र में मनाया जाता है भले ही इसके नाम अलग और तरीके भिन्न है।आज के दिन ही हमारी धरती मां एक नए वर्ष में प्रवेश करती है और सूर्य भी एक नई गति में ।वैज्ञानिकों के अनुसार 21 मार्च को धरती सूर्य का एक चक्कर पूरा कर लेती है और उसी के आसपास ही विक्रम संवत का नव वर्ष भी आरंभ होता है और गुड़ी पड़वा मनाया जाता है।
14 जनवरी एक ऐसा दिन है जब धरती पर अच्छे दिन की शुरुआत होती है ।

मकर संक्रांति के दिन भारत के अधिकांश हिस्सों में पतंगबाजी की जाती है। इस खास दिन पतंग उड़ाने के पीछे धार्मिक कारण ही नहीं बल्कि वैज्ञानिक पक्ष भी छिपे हुए हैं। आइए जानते हैं इस दिन पतंग उड़ाने के ऐसे ही कुछ खास कारण और उससे मिलने वाले लाभ के बारे में।

-मकर संक्रांति पर सूर्य उत्तरायण का होता है, इस कारण इस समय सूर्य की किरणें व्यक्ति के लिए औषधि का काम करती हैं। सर्दी के मौसम में व्यक्ति के शरीर में कफ की मात्रा बढ़ जाती है। साथ ही त्वचा में भी रुखापन आने लगता है। ऐसे में छत पर खड़े होकर पतंग उड़ाने से इन समस्याओं से राहत मिलती है।

इसके अलावा पतंग उड़ाते समय व्यक्ति का शरीर सीधे सूर्य की किरणों के संपर्क में आता है, जिससे उसे सर्दी से जुड़ी कई शारीरिक समस्याओं से निजात मिलने के साथ विटामिन डी भी पर्याप्त मात्रा में मिलता है। बता दें, विटामिन डी शरीर के लिए बेहद आवश्यक है जो शरीर के लिए जीवनदायिनी शक्ति की तरह काम करता है।

वैज्ञानिक तथ्यों के अनुसार, उत्तरायण में सूर्य की गर्मी शीत के प्रकोप व शीत के कारण होने वाले रोगों को समाप्त करने की क्षमता रखती है। ऐसे में घर की छतों पर जब लोग पतंग उड़ाते हैं तो सूरज की किरणें एक औषधि की तरह काम करती हैं।

पतंग उड़ाने से दिमाग सदैव सक्रिय बना रहता है। इससे हाथ और गर्दन की मांसपेशियों में लचीलापन आता है। साथ ही मन-मस्तिष्क प्रसन्न रहता है क्योंकि इससे गुड हार्मोंस का बहाव बढ़ता है। पतंग उड़ाते समय आंखों की भी एक्सरसाइज होती है।
भगवान श्रीराम ने की थी पतंग उड़ाने की शुरुआत-
पुराणों में उल्लेख है कि मकर संक्रांति पर पहली बार पतंग उड़ाने की परंपरा सबसे पहले भगवान श्रीराम ने शुरु की थी। तमिल की तन्दनानरामायण के अनुसार भगवान राम ने जो पतंग उड़ाई वह स्वर्गलोक में इंद्र के पास जा पहुंची थी। भगवान राम द्वारा शुरू की गई इसी परंपरा को आज भी निभाया जाता है।
मिलकर अपने त्योहारों मैंने रंग भरे परंतु या ध्यान रखें हमारी आस्था एवं उसके स्वरूप को कोई हानि ना पहुंचे ।त्योहारों का अर्थ है आनंद और खुशी के पलों को एक दूसरे के संग बांटना और एक दूसरे के निकट आना और समाज में सौहार्द का वातावरण व्याप्त करना।
डाक्टर महिमा सिंह
लखनऊ उत्तर प्रदेश