Sunday, July 7, 2024
साहित्य जगत

विश्व कविता दिवस पर भव्य काव्यगोष्ठी संपन्न

लखनऊ। गागर में सागर भरना कतिपय असंभव प्रतीत होता है, परन्तु यह कार्य विश्व कविता दिवस पर दिनांक २१.०३.२०२२ को सरिता जी ने कर दिखाया। एक साथ तीन पटल सरिता त्रिपाठी फेसबुक पेज, अर्चना की बातें और मेरा पन्ना पर यह कार्यक्रम लाइव प्रसारित हुआ। इस विशेष कार्यक्रम में देश-विदेश के कवियों ने भाग लिया यह अत्यंत रोचक एवं अनूठा प्रयोग था जो अत्यंत सफल रहा।

कार्यक्रम की रूपरेखा आरम्भ से ही अत्यंत आकर्षक थी जो सभी को कौतुहल से अनायास ही भर रही थी और सत्य साबित हुआ। मंच सज चुका था सभी आतुर थे अपने अपने भाव एवं विचारों को शब्दों के मनके में पिरोकर प्रस्तुत करने के लिए कविता के अनेकों अर्थ, परिभाषा लिए सभी ने मंच को शोभायमान किया।

रिमझिम जी ने कृष्ण भक्ति का ऐसा रस बरसाया की सभी भाव विभोर हो उठा। जैसे ही हम अपने भाव व्यक्त करते अर्चना जी शब्दों की जादुई छड़ी से ऐसा सम्मान प्रदान करती कि ह्रदय आनंद से बाग-बाग हो उठता। वही दूसरी तरफ सरिता जी व प्रियांशु जी भी अनोखे अंदाज में कार्यक्रम को आगे बढ़ाती रही।

महिमा ने स्त्री और पुरुष के संबंधों का सुन्दर चित्रण किया, बाबुल जल्दी घर आना – महेंद्र भट्ट जी की, तो किसी ने पूछा कविता सुनेगा कौन, तो प्रीति जी ने देश के वीरों के लिए अत्यंत उत्कृष्ट कविता ” हाँ मुझे नशा है ” सुना। वही रूचि गोपाल जी ने अपनी कविता से गरीबों के घर का अलग ही चित्र खींचा।

नेहा जी ने ऑस्ट्रेलिया से जुड़ी अपनी कविता में अनेकों सामान खरीद कर लायी, सुनील जी ने अपने चिरपरिचित अंदाज में अपनी अत्यंत प्रिय रचना सुनाई ” मैंने कवि का आँगन देखा। प्रियांशु जी ने उम्मीद के बादल दिल को छू लेने वाली कविता कही, सरिता जी ने कविता “कवि की आत्मा” पंक्तियों से कविता को परिभाषित किया और “गौरैय्या” को अपने शब्दों में उकेरा।

शब्दों की बंदिश है अतः सभी गुणीजनों ने अपनी बेहतरीन रचनाएँ प्रस्तुत की, जिनका परिचय इस प्रकार है, डॉ महिमा सिंह, चेन्नई, निवेदिता रॉय, बहरीन, डॉ पुष्पा सिंह, बनारस, सुनील चौधरी ‘दीद’ लखनवी, दिल्ली, नेहा वर्तिका, स्विटज़रलैंड, रुचि गोपाल, ओबरा, प्रीति पांडेय, लखनऊ, अर्चना जैन, राजनांदगांव, आभा मिश्रा, कोटा, विशु तिवारी, ग्वालियर, राजेंद्र जाट, नोयडा, प्रियांशु सक्सेना, गाजियाबाद, डॉ मंजू चौहान, चंडीगढ़, महेंद्र भट्ट, ग्वालियर, अनुप जालान, मुम्बई, मंजुला अस्थाना महंती, उडीसा, परविंदर सोनी, चंडीगढ़, सरिता कटियार, लखनऊ, हरप्रीत कौर, कानपुर, दीपिका गहलोत, पुणे, रिमझिम श्रीवास्तव बंगलौर, मीरा मिश्रा, पुणे, सरिता त्रिपाठी, लखनऊ। सभी ने हर विषय को छुआ, जैसे पर्यावरण वीरों की कुर्बानी, बाबुल की बातें तो मीरा का प्रेम, कौन सुनेगा कविता यह प्रश्न भी पूछा तो किसी ने असहाय बच्चों की पीड़ा व्यक्त की।

मंच पर सभी जुड़ते गए और भावों और विचारों का अमृत मंथन चलता रहा और इस कार्यक्रम की विशेष बात यह भी थी की हम सभी श्रोता और वक्ता दोनों थ। सरिता जी, प्रियांशु जी एवं अर्चना जी के सम्मिलित प्रयास ने इस कार्यक्रम को अत्यंत बेहतरीन एवं सफल बना दिय। भविष्य में ऐसे कार्यक्रम फिर होंगे इसी आशा और शुभकामना के साथ हम कलम को यही विराम देते है। “जहाँ न पहुंचे रवि, वहां पहुंचे कवि” यह कथन आज सार्थक सिद्ध हु। इस कार्यक्रम की विशेष बात – देश के कोने-कोने से सभी का एक साथ जुड़ना और कार्यक्रम का सञ्चालन करने वाले भी तीन अलग स्थानों से जुड़े: सरिता त्रिपाठी – लखनऊ अर्चना जैन – राजनांदगांव, प्रियांशु सक्सेना – गाज़ियाबाद।

यह कार्यक्रम पौने तीन घंटे लाइव चला और श्रोतागण लगातार कमेंट के माध्यम से सभी कवियों का उत्साहवर्धन करते रहे, यह इस पटल पर सबसे लम्बा चलने वाला एवं सबसे ज्यादा कवियों/कवयित्रियों की एक साथ प्रस्तुति का सफल प्रयास रह। हमरे बीच प्रस्तुतकर्ता के अलावा अंत तक जुड़े रहने वाले श्रोतागणों में अनुभा जी, मधुलिका जी, पुष्मायती जी, शमीमा जी, अशोक जी, नीलम जी, अमरजीत जी, श्रद्धा जी, अखिलेश जी, सतीश जी, के यस मिश्रा जी, कमलेश जी, सुषमा जी, राजीव जी, मदन जी, अलोक जी, सूबे जी, राजेश जी, गायत्री जी, आशा जी, भूप जी, अनीता जी इत्यादि बने रहे।