क्रांति का दूसरा नाम शहीद भगत सिंह-पुरुषोत्तम दुबे
डुमरियागंज/सिद्धार्थनगर। वरिष्ठ पत्रकार पुरुषोत्तम दुबे ने आज कहा है कि भारत जब भी अपने आजाद होने पर गर्व महसूस करता है तो उसका सर उन महापुरुषों के लिए हमेशा झुकता है जिन्होंने देश प्रेम की राह में अपना सब कुछ न्यौछावर कर दिया देश के स्वतंत्रता संग्राम में हजारों ऐसे नौजवान भी थे जिन्होंने ताकत के बल पर आजादी दिलाने की ठानी और क्रांतिकारी कहलाए भारत में जब भी क्रांतिकारियों का नाम लिया जाता है तो सबसे पहला नाम शहीद भगत सिंह का आता है। आज भानपुर रानी में स्वर्गीय अनिल कुमार श्रीवास्तव स्मृति पार्क में स्थित भगत सिंह की प्रतिमा पर माल्यार्पण करने के बाद संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के इतिहास में भगत सिंह का नाम एक क्रांतिकारी से कहीं बढ़कर माना जाता है आज ही के दिन यानी 23 मार्च 1931 को भगत सिंह को उनके साथी राजगुरु और सुखदेव के साथ अंग्रेजों ने फांसी की सजा दी थी भगत सिंह क्रांतिकारी बनकर उनकी फांसी तक का सफर बताता है कि कैसे वह एक बड़ी सोच बन गए थे जिसने देश के युवाओं को ही नहीं जवाहरलाल नेहरू जैसे नेताओं तक को प्रभावित कर दिया था आज भगत सिंह एक अध्ययन का विषय बन चुके हैं हम नौजवानों को उनके जीवन से प्रेरणा लेकर देश के लिए कार्य करना चाहिए जिससे हमारा देश और अधिक मजबूत हो। वरिष्ठ पत्रकार रामकुमार तथा देवानंद पाठक ने संबोधित करते हुए कहा कि , भारत की आजादी के इतिहास में अमर शहीद भगत सिंह का नाम स्वर्ण अक्षरों में लिखा गया है भगत सिंह का जन्म 28 सितंबर 1960 को पंजाब के जिला लायलपुर गांव में हुआ था जो अब पड़ोसी देश में स्थित है। बचपन से ही भगत सिंह ने देश को आजाद कराने की बीड़ा उठा लिया था और उसी पर निरंतर कार्य करते रहे। इस अवसर पर शिव पूजन, राहुल सैनी, विकास,सत्यवान सोनी सहित अन्य लोग उपस्थित रहे।