Saturday, May 4, 2024
विचार/लेख

स्त्री जगत की निर्मानशिला है-डॉ दीपेन्द्र सिंह

बस्ती।पुरुष के भीतर की कामवासना जब अहंकारी हो जाती है तब बलात्कार जन्म लेता है । सदियों से वासनात्मक अहँकार ने पुरुषों के साम्राज्य को ध्वस्त किया है चाहे महिषासुर हो या फिर आशाराम या फिर राम रहीम हो इन सारे लोगों का साम्राज्य काम वासना की ही बलि चढ़ा है । जो समाज अपने इतिहास से नही सीखता वो बिलुप्त हो जाता है । जब जब पुरुष अपने कामवासना को नियंत्रित करने में विफल हुआ है तब तब उसका विनाश हुआ है। स्त्री का सम्मान अगर हम करते रहेंगे तो समाज ऊँचाई की तरफ बढ़ेगा नही तो पतन की तरफ अग्रसर होगा । बलात्कार की घटनाएं जो लगातार बढ़ रही है चाहे हाथरस हो , बलरामपुर हो या फिर अजमेर की घटना हो ऐसी घटनाओं का रोज इजाफा हो रहा है। इस तरह की घटनाएं बता रही है कि समाज पतन की तरफ बढ़ रहा है । समाज को बचना हो प्रलय से बचना हो तो जाग जाओ।।महात्मा गांधी ने कहा था कि जिस दिन एक महिला रात में सड़कों पर स्वतंत्र रूप से चलने लगेगी, उस दिन हम कह सकते हैं कि भारत ने स्वतंत्रता प्राप्त कर ली है । नारी का शोषण न करे नारी का सम्मान करें । नारी के सम्मान में ही समाज का सम्मान है।
स्त्री एक छोटा सा शब्द है पर कभी न खत्म होने वाली परिभाषा।
स्त्री शक्ति का स्वरूप जीवनदाती, प्रेम का बोध,ममता का भंडार लिए त्याग, दया,सहनशक्ति का वरदान लिए ईश्वर की दी हुई अनोखी वरदान है।
स्त्री जगत की निर्माणशीला है जो कष्ट सहते हुऐ खुशियो से भरे हुए समाज का निर्माण करती है।
-डॉ.दीपेंद्र सिंह
बस्ती (उत्तार प्रदेश)