Saturday, May 18, 2024
बस्ती मण्डल

आइये जानते है भाजपा के चार विधायकों के बारे मे जिन्हें पार्टी ने दोबारा उम्मीदवार बनाया

बस्ती। जिले की पांच विधानसभा सीटों में से चार पर शुक्रवार को भाजपा ने उम्मीदवारों की घोषणा कर दी. सभी मौजूदा विधायकों पर पार्टी ने दोबारा टिकट दिया है.

कप्तानगंज से विधायक चंद्र प्रकाश शुक्ला पर जताया भरोसा : पेशे से चार्टर्ड अकाउंटेंट चंद्र प्रकाश शुक्ल वर्ष 2014 में लोकसभा चुनाव से पहले भाजपा में शामिल हुए थे. मूलरूप से हर्रैया विधानसभा क्षेत्र के हरेवा शुक्ल निवासी चंद्रप्रकाश 2014 में लोकसभा का टिकट मांग रहे थे, लेकिन 2017 में भाजपा ने उन्हें कप्तानगंज सीट से विधानसभा का टिकट दिया. उन्होंने पूर्व मंत्री व बसपा के उम्मीदवार राम प्रसाद चौधरी को हराकर भाजपा का परचम लहराया. वर्ष 2002 में इस सीट से भाजपा के टिकट पर राम प्रसाद चौधरी चुनाव जीते थे, लेकिन 2007 में वह बसपा में शामिल हो गए, जिसके बाद इस सीट पर 2017 के चुनाव में कमल खिला.

महादेवा सुरक्षित से रवि सोनकर को फिर मिला टिकट : बस्ती शहर के नरहरिया निवासी रवि सोनकर के पिता कल्पनाथ सोनकर बस्ती से 1980 व 1989 दो बार सांसद रहे. रवि सोनकर की राजनीतिक पारी वर्ष 2010 से शुरू हुई. वह भाजपा कोटे से जिला पंचायत सदस्य चुने गए और इसी वर्ष जिला पंचायत अध्यक्ष की दावेदारी की, मगर चुनाव हार गए. इसके बाद वे भाजपा के साथ ही लगे रहे. वर्ष 2017 में भाजपा ने उन्हें महादेवा सीट से प्रत्याशी घोषित किया. इस चुनाव में वे बसपा के दूधराम को हराकर विधानसभा क्षेत्र महादेवा में भाजपा के खाते में यह सीट डाली. इस बार फिर से भाजपा ने उन पर विश्वास जताया है.

हर्रैया से अजय कुमार सिंह को मिला टिकट : अजय कुमार सिंह 2017 में पहली बार भाजपा के टिकट पर चुनाव जीते थे. वर्ष 2007 में कांग्रेस से सियासी पारी शुरू करने वाले अजय सिंह 2012 में कांग्रेस के टिकट पर हर्रैया से चुनाव लड़े थे, लेकिन तीसरे नंबर रहे. उन्होंने वर्ष 2014 में भाजपा का दामन थामा. इसके बाद वर्ष 2017 में उन्होंने समाजवादी पार्टी के नेता पूर्व मंत्री राजकिशोर सिंह को हराकर हर्रैया में कमल खिलाया था. अजय सिंह मूल रूप से हर्रैया के ग्राम लजघटा के निवासी हैं.

बस्ती सदर से दयाराम चौधरी को मिला टिकट : दयाराम चौधरी का राजनैतिक सफर गांव की प्रधानी से वर्ष 1982 में शुरू हुआ. 1984 में जिला पंचायत सदस्य बने. 1988 में ब्लॉक प्रमुख जीतने के बाद वह चौधरी चरण सिंह से प्रेरित होकर भारतीय क्रांति दल में शामिल हो गए, जो बाद में जनता दल बन गया. 1990 में पहली बार विधान परिषद सदस्य बने. 1996 में बसपा के टिकट पर विधानसभा का चुनाव लड़े, मगर हार गए. वर्ष 2000 में वह निर्दल जिला पंचायत अध्यक्ष बने. 2009 में भाजपा ने इन्हें विधान परिषद का चुनाव लड़ाया, मगर उन्हें पराजित होना पड़ा. वह फिर 2012 के विधानसभा चुनाव में निर्दल प्रत्याशी के रूप में मैदान में उतरे, लेकिन हार गए. वर्ष 2017 में भाजपा का दामन थामा और प्रत्याशी बने, सदर सीट से कमल खिलाया