Tuesday, May 7, 2024
हेल्थ

सटीक विश्लेषण से मातृ-शिशु मृत्यु दर में लाएंगे कमी

गोरखपुर।(गुरूमीत सिंह)संस्थागत प्रसव के दौरान होने वाली मां और बच्चे की मौत के सटीक कारणों का पता लगा कर इसे रोका जाएगा । इस संबंध में शासन स्तर से मंत्र (मां एवं नवजात ट्रैकर एप) एप का क्रियान्वयन होगा । इससे पहले जिले के 65 ब्लॉक स्तरीय प्रशिक्षकों को प्रशिक्षित किया गया है जो सभी क्रियाशील प्रसव केंद्रों के नर्स एवं एएनएम को प्रशिक्षण देंगे । ट्रायल फेज में चल रहे इस एप की मार्च तक लाचिंग होने के बाद कागजी रिपोर्टिंग समाप्त हो जाएगी और इससे समय की बचत भी होगी ।

राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन में जिला कार्यक्रम प्रबंधक पंकज आनंद ने बताया कि सीएमओ डॉ. आशुतोष कुमार दूबे और एसीएमओ आरसीएच डॉ. नंद कुमार के दिशा-निर्देशन में जिला मातृ परामर्शदाता सूर्य प्रकाश और यूनिसेफ के मंडलीय समन्वयक बिजेंद्र चौबे जी की मदद से सभी ब्लॉक स्तरीय प्रशिक्षकों का प्रशिक्षण हुआ है । फरवरी 2022 तक यह एप ट्रायल के तौर पर चलेगा और इसके बाद इसे पूरी तरह से लागू कर दिया जाएगा । एप लागू होने से डेटा एनालिसिस और आसान हो जाएगा जिससे क्षेत्र विशेष के लाभार्थियों को विशेषीकृत सेवाएं भी दी जा सकेंगी । यह पता चल सकेगा कि किस क्षेत्र में एनीमिया ज्यादा है अथवा कहां पर कुपोषण की समस्या है । शिशु मृत्यु की अधिकता वाले क्षेत्र भी एक क्लिक में चिन्हित हो जाएंगे और इस तरह से ऐसे क्षेत्रों में विशेष प्रयास कर मातृ-शिशु मृत्यु दर को कम किया जा सकेगा ।

प्रशिक्षक सूर्य प्रकाश ने बताया कि रजिस्टर फीडिंग में लाभार्थी का जो समय नष्ट होता है, वह एप के जरिये बच जाएगा। एप पर फीडिंग में समय कम लगेगा । प्रसव केंद्र पर भी लाभार्थी का सारा विवरण दर्ज हो जाएगा । प्रसूता को कौन सी दवा दी गयी, उसकी मेडिकल कंडीशन क्या थी, एनीमिया का स्तर क्या था और लाइन ऑफ ट्रिटमेंट की जानकारी एप के जरिये जिम्मेवार लोगों को हो जाएगी और इससे गैप क्लोजर में काफी मदद मिलेगी ।

*65 केंद्र क्रियाशील*

जिला कार्यक्रम प्रबंधक ने बताया कि जिले में इस समय 65 केंद्रों पर प्रसव हो रहा है। अप्रैल से अब तक करीब 34000 संस्थागत प्रसव सरकारी क्षेत्र में हुआ है । जिले के कुल 142 प्रसव केंद्रों को इस साल क्रियाशील करना है ।