Saturday, May 18, 2024
साहित्य जगत

गुरु पर्व के उपलक्ष्य पर काव्य गोष्ठी का सफल आयोजन सम्पन्न

लखनऊ। युवा लेखिका एवं कवयित्री सरिता त्रिपाठी जी के फेसबुक पेज पर काव्य सरिता सुरों में प्रवाहित हुई। इस काव्य गोष्ठी का आगाज कार्तिक पूर्णिमा के दिन किया गया जिसका मुख्य बिंदु गुरु नानक जयंती, गंगा स्नान, अन्तर्राष्ट्रीय पुरुष दिवस, रानी लक्ष्मीबाई जयंती रहा। इस कार्यक्रम में देश के कोने-कोने से साहित्यकारों ने प्रतिभाग किया, कार्यक्रम की मुख्य अतिथि नीलम सक्सेना जी पुणे से, सुनील चौधरी “दीद” लखनवी जी दिल्ली से, साधना मिश्रा “लखनवी” जी लखनऊ से, रिमझिम श्रीवास्तव जी बैंगलोर से और कार्यक्रम की आयोजक एवं संचालिका सरिता त्रिपाठी जी लखनऊ से उपस्थित रही।
काव्यपाठ दो चरणों में संपन्न हुआ जिसमें सभी ने आध्यात्मिक कविता प्रस्तुत किया और सरिता जी ने कबीर जी के दोहों से कवियों का उत्साहवर्धन किया।
दूसरे चरण में सभी ने अपनी मनपसन्द विधा का काव्यपाठ कर दर्शकों का मन मोह लिया।
सुनील जी की पंक्तियाँ कुछ इस प्रकार रहीं
ईश्वर एक है सबको मान, अज्ञानी मत बन इंसान।
कोई समझाये कहे, दिल की जुबां भी कोई।
नीलम जी की पंक्तियाँ कुछ इस प्रकार रही
कौन है वो शख्स जो मेरा गुमान करेगा।
दिल मे मोहब्बत आँखों मे नशा है।
साधना जी की पंक्तियाँ कुछ इस प्रकार रही
जिन्होंने भर दिया जीवन मे आनंद ही आनंद।
रिश्ते बहुत नाजुक होते हैं।
रिमझिम जी की पंक्तियाँ कुछ इस प्रकार रहीं
गुरु बिन ज्ञान नहीं, गुरु बिन ध्यान नहीं।
जलती है खुद, पर रोशन करती हैं।
अंत मे सरिता जी की पंक्तियाँ
कार्तिक पूर्णिमा गंगा कय मेला
नदिया नहाए चलो न अकेला।
दिल तो रखता है पर रो नहीं सकता
नींद सुकूं की कभी वो सो नहीं सकता।
इस गोष्ठी का आयोजन बहुत ही सफल रहा दर्शकों ने लगातार अपनी प्रतिक्रिया देकर लोगों का उत्साहवर्धन किया। सरिता त्रिपाठी जी ने भविष्य मे ऐसे आयोजन होते रहने का आश्वासन देकर सभी कवियों एवं दर्शकों का आभार व्यक्त किया।