कर्बला में शहीद हुए आले रसूल की मनाई याद
बस्ती। इमामबाड़ा शाबान मंजिल में रविवार की रात मजलिस का आयोजन हुआ। मजलिस के बाद प्रतीक के रूप में 18 बनी हाशिम का ताबूत निकाला गया। कर्बला के मैदान में अपनी शहादत पेश करने वाले आले रसूल को याद कर सोगवारों ने आंसू बहाया। मजलिस के अंत में उतरौला से आए मशहूर नौहाख्वा आमिर हुसैन आमिर ने अपने मकसूस अंदाज में नौहा व मुनाजात पेश किया। लखनऊ के मशहूर मर्सिया ख्वा फैज बाकर ने अपने अंदाज में कलाम पेश किया।
कार्यक्रम का संचालन करते हुए मौलाना हैदर मेंहदी ने कहा कि कर्बला की शहादत हमें इंसानियत व सौहार्द का संदेश देती है। हमारे युवाओं को हर उस विचारधारा से दूर रहना चाहिए जो कट्टरता व नफरत को हवा देती है। यही इस्लाम का अस्ल पैगाम है। जब-जब इस्लाम की तस्वीर को बिगाड़ने का काम छुपे हुए दुश्मनों द्वारा किया गया तो हमारे रसूल की आल ने अपनी जान तक देकर उसे बचाया है।
मजलिस के बाद इमामबाड़े से एक-एक शहीदों का ताबूत निकाला जा रहा था, जिसकी जियारत सोगवार कर रहे थे। इमाम हुसैन की सवारी जो घोड़ा उन्हें अपने नाना पैगम्बरे इस्लाम से मिला था, उसके प्रतीक के रूप में जुलजुनाह बरामद किया गया। सुहेल हैदर, कामिल रिजवी, सोनू, मो. रफीक सहित अन्य ने सोज व नौहा पेश किया। उतरौला से आई अंजुमने कमरे बनी हाशिम के नौहा ख्वा हसन जाफर व अली हसन ने अपने मकसूस अंदाज में नौहा पेश किया।
हाजी अनवार हुसैन काजमी, जीशान रिजवी, शमसुल हसन काजमी, मौलाना अली हसन, वासन हल्लौरी, शबीब हैदर, शम्स आबिद, सफदर रजा, राजू, तकी हैदर, जावेद, हसनैन रिजवी, मेंहदी रिजवी, अदीबुल हसन, साजिद हसन सहित अन्य कार्यक्रम में शामिल रहे।
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