Monday, July 1, 2024
बस्ती मण्डल

महान स्वतंत्रता संग्राम सेनानी पं. बल्लभ पंथ जी की जयंती मनाया गया।-सोनिया

संतकबीरनगर। राजकीय कन्या इंटर कॉलेज खलीलाबाद संतकबीरनगर उत्तर प्रदेश की व्यायाम शिक्षिका सोनिया ने कहा कि भारत रत्न पंडित गोविंद बल्लभ पंत जी की जयंती अमृत महोत्सव एवम् चौरी चौरा शताब्दी समारोह की श्रंखला के अंतर्गत पं.गोविंद बल्लभ पंत जी की जयंती समारोह का आयोजन कर उनकी प्रतिमा पर माल्यार्पण करते हुए बच्चों को पंडित गोविंद बल्लभ पंत जी के व्यक्तित्व एवं कृतित्व एवं राष्ट्र के प्रति उनके विशेष योगदान के बारे में बच्चों को विस्तृत रूप से उनके जीवन पर प्रकाश डालते हुए बच्चों को बताया कि
भारत के स्वतंत्रता संग्राम की स्वर्णिम कहानी आज भी लोगों के दिलों में क्रांति का अलग जगाती हैं इसमें भारत रत्न गोविंद बल्लभ पंत जी का विशेष रूप से नाम लिया जाता है । इनका जन्म उत्तराखंड के अल्मोड़ा स्थित खूंट गांव में 10 सितंबर 1887 को हुआ
गोविंद बल्लभ पंत ने सन् 1905 में इलाहाबाद विश्वविद्यालय में प्रवेश लिया और 1909 में उन्होंने कानून की परीक्षा पास की ।
काकोरी कांड के मुकदमे में एक वकील के तौर पर उन्हें बहुत पहचान और प्रतिष्ठा मिली ।
वह उत्तर प्रदेश के पहले मुख्यमंत्री थे तथा 10 जनवरी 1955 को उन्होंने भारत के गृह मंत्री का पद भी संभाला। पंत जी एक चिंतक, विचारक, मनीषी, दूरदृष्टा तथा समाज सुधारक थे ।राष्ट्र के नवनिर्माण उनका प्रमुख योगदान था गोविंद बल्लभ पंत का नाम प्रमुख रूप से राष्ट्रीय नायकों में से एक है वह देश भक्ति शांतिप्रिय तथा दृढ़ इच्छाशक्ति के लिए जाने जाते थे गोविंद बल्लभ पंत जी महात्मा गांधी के जीवन दर्शन को देश की जनशक्ति में आत्मिक ऊर्जा का स्रोत मानते हैं उन्होंने अपने साहित्य के माध्यम से समाज के अंदर वेदना को जनमानस में पहुंचाया उनका लेखन राष्ट्रीय अस्मिता के पास चिन्हा अंकन द्वारा लोगों के समक्ष विविध आकार ग्रहण करने में सफल हुआ।
उन्होंने राष्ट्रीय एकता के लिए अपनी लेखनी उठाई और राष्ट्रीय एकता के प्रबल समर्थक भी थे उन्होंने गरीबों का दर्द बाटा और आर्थिक विषमता मिटाने का अथक प्रयास किया। पंडित पंत जी का नाटक कोहिनूर का लुटेरा बहुत प्रसिद्ध रहा और पूरे भारत में 100 बार से अधिक मंचित किया गया 100 वे मंचन पर तत्कालीन प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू स्वयं जयपुर पहुंचे और उनके नाटक की व्यक्तिगत रूप से प्रशंसा भी की उनके नाटकों में समाज का चित्रण होता था सामाजिक चिंतन पंत जी का विशेष ध्येय रहा है साहित्यिक जीवन की शुरुआत उन्होंने नाटक लेखन से ही की थी उनकी कुल 65 कृतियां प्रकाशित हुई जिसमें व्याकुल भारत, राज विजय, कंजूस की खोपड़ी बहुत प्रसिद्ध है । वह जीवन भर अंग्रेजी सरकार से भारतीय जनता की हक की लड़ाई लड़ते रहे 9 अगस्त 1925 को काकोरी कांड में पकड़े गए युवकों को छुड़ाने के लिए उन्होंने जी-जान से कोशिश की इसके अलावा 1927 में राम प्रसाद बिस्मिल तथा अन्य तीन साथियों को फांसी के फंदे से बचाने के लिए उन्होंने पंडित मदन मोहन मालवीय को के साथ वायसराय को एक पत्र भी लिखा 1928 में साइमन कमीशन बहिष्कार तथा 1942 में भारत छोड़ो आंदोलन महत्वपूर्ण भूमिका रही देश की आजादी में योगदान है ऐसे महान स्वतंत्रता संग्राम सेनानी को शत शत नमन।