Wednesday, June 26, 2024
बस्ती मण्डल

व्यवहारिक जीवन में उतारना है श्रीमद्भागवत कथा की सार्थकता : मनीष पूर्णानन्द, सचित्र

गायघाट। रामकथा हमे जीवन जीने की कला सिखाती है तो भागवत कथा हमे मोक्ष प्रदान करती है। भागवत कथा की सार्थकता तभी सिद्व होती है जब इसे हम अपने ब्यवहारिक जीवन में उतारते हैं। अन्यथा यह कथा केवल मनोरंजन मात्र बनकर रह जाती है। भागवत कथा श्रवण से मन का शुद्विकरण तो होता ही है इससे संशय भी दूर हो जाता है और मन को शान्ती मिलती है। ईश्वर से सम्बंध जोड़कर हम हमेंशा के लिए उन्हें अपना सकते है। भागवत कथा कल्प बृक्ष के समान है।
यह सदविचार गोवर्धन धाम से आये कथा वाचक मनीष पूर्णानन्द जी महराज ने प्रवचन सत्र में व्यक्त किया। वे शनिवार को नगर पंचायत गायघाट में चल रही सात दिवसीय श्रीमद भागवत कथा के दूसरे दिन ब्यास पीठ से श्रद्धालुओं को भागवत कथा की महत्ता पर प्रकाश डाल रहे थे। उन्होने कहा कि राजा परीक्षित ने लोक कल्याण के लिए श्री शुकदेव जी से प्रश्न किया कि म्रियमाण ब्यक्ति का क्या कर्तब्य है। भयग्रस्त प्राणी को मृत्यु के भय से मुक्त होने के लिए परमात्मा के शरण मे रहकर उनके महिमा गुणगान करना चाहिए । इससे भगवान के स्वाभाव व स्वरुप का ज्ञान होता है ।
कथा के मुख्य यजमान ओम प्रकाश जायसवाल, आलोक त्रिपाठी, पप्पू यादव, जितेन्द्र जायसवाल, पंकज पाण्डेय, राहुल जायसवाल, रिंकू पाण्डेय, मंटू पाण्डेय, रविन्द्र पाण्डेय, उर्फ कुंटल, पप्पू शुक्ल, कृष्ण मोहन, विकास जायसवाल, महेन्द्र, सुरेश चंद्र, शक्ति जायसवाल सहित तमाम श्रद्धालु उपस्थित रहे।