Tuesday, July 2, 2024
बस्ती मण्डल

गुरु ज्ञान के बिना जीवन में कुछ भी संभव नहीं-सोनिया

संतकबीरनगर।(कालिन्दी मिश्रा) गुरु पूर्णिमा के अवसर पर राजकीय कन्या इंटर कॉलेज खलीलाबाद संतकबीरनगर उत्तर प्रदेश की व्यायाम शिक्षिका सोनिया ने कहा कि गुरु ज्ञान का कारक है जिसके बिना ज्ञान के कल्पना भी नहीं की जा सकती । धार्मिक शास्त्रों में गुरु को भगवान से भी श्रेष्ठ माना गया है। गुरु ही भगवान तक पहुंचाने का मार्ग बताते हैं।

*गुरु ब्रह्मा गुरु विष्णु, गुरु देवो महेश्वरा, गुरु साक्षात परब्रह्मा , तस्मै श्री गुरुवे नमः।*

गुरु ही ब्रह्मा है, गुरु ही विष्णु है और गुरु ही भगवान शिव शंभू है। गुरु ही साक्षात परब्रह्मा है। ऐसे गुरुओं को मैं ह्रदय की गहराइयों से सादर प्रणाम करती हूं । भारत में गुरु को आदिकाल से ही ईश्वर का दर्जा प्राप्त है। हमें ज्ञान रूपी प्रकाश से आलोकित करते हैं। हमारे अज्ञान रूपी अंधकार को दूर करते हैं। अच्छे और बुरे में फर्क करना बताते हैं। जीवन के मूल्यों सिद्धांतों से परिचित कराते हैं। गुरु के महत्व को ध्यान में रखते हुए। हर वर्ष आषाढ़ माह की पूर्णिमा तिथि को गुरु पूर्णिमा का पर्व मनाया जाता है। आषाढ़ पूर्णिमा को महर्षि वेदव्यास जी का जन्म हुआ था। वह संस्कृत के महान ज्ञाता थे उनके द्वारा सभी 18 पुराणों की रचना की गई। उन्हे आदि गुरु भी कहा जाता है। उन्होंने ही वेदों का ज्ञान दिया और पुराणों की रचना की। उनके सम्मान में गुरु पूर्णिमा मनाई जाती है। इस दिन को गुरुजनों की पूजा करने की भी पंपरा है। मैं सभी गुरु को नमन करती हूं एवं चरण वंदन करती हूं। हम सभी के जीवन में गुरु की महत्ता के बारे में ऋषि-मुनियों ने बहुत ही पहले लिखा है कि ।
*गुरु गोविंद दोऊ खड़े, काके लागू पाय। बलिहारी गुरु आपने गोविंद दियो बताए।* *कबीर दास ने कहा कि गुरु और गोविंद अर्थात भगवान दोनों ही साथ खड़े हो तो किस से पहले प्रणाम करना चाहिए । इस स्थिति में हमे गुरु को सबसे पहले प्रणाम करना उत्तम है। आपकी कृपा से ही गोविंद का दर्शन भी संभव हुआ है। गुरु ही जीवन के मार्गदर्शक होते हैं इसीलिए उनको ईश्वर का दर्जा प्राप्त है। मैं सभी गुरुओं को बारम्बार चरण वंदन एवं अभिनंदन करती हूं। की आज जो कुछ मैं हूं ।ये हमारे गुरु की देन है ।गुरु के बिना कुछ भी संभव नहीं है।

 

संतकबीरनगर।(कालिन्दी मिश्रा) गुरु पूर्णिमा के अवसर पर राजकीय कन्या इंटर कॉलेज खलीलाबाद संतकबीरनगर उत्तर प्रदेश की व्यायाम शिक्षिका सोनिया ने कहा कि गुरु ज्ञान का कारक है जिसके बिना ज्ञान के कल्पना भी नहीं की जा सकती । धार्मिक शास्त्रों में गुरु को भगवान से भी श्रेष्ठ माना गया है। गुरु ही भगवान तक पहुंचाने का मार्ग बताते हैं।

*गुरु ब्रह्मा गुरु विष्णु, गुरु देवो महेश्वरा, गुरु साक्षात परब्रह्मा , तस्मै श्री गुरुवे नमः।*

गुरु ही ब्रह्मा है, गुरु ही विष्णु है और गुरु ही भगवान शिव शंभू है। गुरु ही साक्षात परब्रह्मा है। ऐसे गुरुओं को मैं ह्रदय की गहराइयों से सादर प्रणाम करती हूं । भारत में गुरु को आदिकाल से ही ईश्वर का दर्जा प्राप्त है। हमें ज्ञान रूपी प्रकाश से आलोकित करते हैं। हमारे अज्ञान रूपी अंधकार को दूर करते हैं। अच्छे और बुरे में फर्क करना बताते हैं। जीवन के मूल्यों सिद्धांतों से परिचित कराते हैं। गुरु के महत्व को ध्यान में रखते हुए। हर वर्ष आषाढ़ माह की पूर्णिमा तिथि को गुरु पूर्णिमा का पर्व मनाया जाता है। आषाढ़ पूर्णिमा को महर्षि वेदव्यास जी का जन्म हुआ था। वह संस्कृत के महान ज्ञाता थे उनके द्वारा सभी 18 पुराणों की रचना की गई। उन्हे आदि गुरु भी कहा जाता है। उन्होंने ही वेदों का ज्ञान दिया और पुराणों की रचना की। उनके सम्मान में गुरु पूर्णिमा मनाई जाती है। इस दिन को गुरुजनों की पूजा करने की भी पंपरा है। मैं सभी गुरु को नमन करती हूं एवं चरण वंदन करती हूं। हम सभी के जीवन में गुरु की महत्ता के बारे में ऋषि-मुनियों ने बहुत ही पहले लिखा है कि ।
*गुरु गोविंद दोऊ खड़े, काके लागू पाय। बलिहारी गुरु आपने गोविंद दियो बताए।* *कबीर दास ने कहा कि गुरु और गोविंद अर्थात भगवान दोनों ही साथ खड़े हो तो किस से पहले प्रणाम करना चाहिए । इस स्थिति में हमे गुरु को सबसे पहले प्रणाम करना उत्तम है। आपकी कृपा से ही गोविंद का दर्शन भी संभव हुआ है। गुरु ही जीवन के मार्गदर्शक होते हैं इसीलिए उनको ईश्वर का दर्जा प्राप्त है। मैं सभी गुरुओं को बारम्बार चरण वंदन एवं अभिनंदन करती हूं। की आज जो कुछ मैं हूं ।ये हमारे गुरु की देन है ।गुरु के बिना कुछ भी संभव नहीं है।