Saturday, May 18, 2024
बस्ती मण्डल

जैविक खेती से करते हैं तीन गुना तक कमाई

बस्ती/ जिले के सदर ब्लाक के गौरा गाँव के किसान राममूर्ति मिश्र पूरे जनपद के किसानों के लिए माडल किसान के रूप में पहचान रखते हैं। एलएलबी पास किसान राममूर्ति नें खेती की शुरुआत हाईकोर्ट इलाहाबाद से वकालत का पेशा छोड़ कर शुरू किया तो उन्होंने नें वर्षों से चली आ रही परंपरागत खेती की नगदी फसलों को तरजीह देनी शुरू कर दी। जिससे वह नगदी फसलों की खेती कर आज अच्‍छी कमाई कर रहे हैं। इस लिए उन्हें उन्‍हें जनपद के सबसे प्रगतिशील किसानों में गिना जाता है।
वह 2 एकड़ खेत में जैविक तरीके से सब्जियों की खेती करते हैं। जिससे उन्हें लॉक डाउन में लागत काट कर 4 महीनें में लगभग सवा लाख रूपये की कमाई हुई। उन्‍होंने अपने इस भूमि पर नेनुआ, करेला, चप्पन कद्दू, खीरा और लहसुन का फसल लगाया था जिससे उन्हें लागत के अपेक्षा तीन गुना ज्यादा फायदा हुआ। इस समय उन्होंने जैविक तरीके से अपने खेतों में अरबी की फसल लगा रखी है जो बिक्री के लिए तैयार है।
प्रगतिशील किसान राम मूर्ति मिश्र ने बताया कि उन्होंने खेती की कमाई से ही अपने बेटे को देश के टॉप कालेज से एमबीए की पढ़ाई कराई और आज उनका बेटा आज भारत में संचालित एक विदेशी बैंक में मैनेजर है। जब की बिटिया को समाज कार्य विषय में मास्टरडिग्री दिलाई और खेती की कमाई से ही उसकी शादी बड़े धूम धाम से भाभा संस्थान के एक इंजिनियर के साथ की हैं। वह खेती से खुद तो कमाई करते ही हैं इसके अतिरिक्त उन्होंने खेतीबाड़ी में दर्जन भर लोगों को प्रत्यक्ष व अप्रत्यक्ष भी रोजगार दिया है, जो हर फसल में उनका साथ देते हैं।
राममूर्ति मिश्र ने बताया की वह खरीफ सीजन में वह अपनी बाकी 35 बीघा जमीन पर सुगन्धित धान की खेती करते हैं जिसमें कालानमक, बासमती, संभा जैसी किस्में शामिल है। जिसकी सिंचाई वह सोलर पम्प व ड्रिप इरिगेशन से कर सिंचाई लागत में भी कमी लाने में कामयाब रहें हैं वह हर साल नगदी फसलों को लगाते हैं, जिसमें टमाटर, नेनुआ, कद्दू, ककड़ी, मटर जैसी सब्जियां शामिल हैं।
उन्होंने बताया की उन्होंने उपज का उचित दाम मिले और बिचौलियों का वर्चस्व कम हो उसके लिए सिद्धार्थ एफपीओ बना रखा है। जिससे तीन सौ से भी अधिक किसान जुड़े हुए हैं। जिनके उपज को सीधे बेचवाने में मदद भी करते हैं। बताया की इस साल उन्होंने एफपीओ से जुड़े किसानों के कालानमक चावल को राजस्थान में उचित रेट पर बेचवाने में मदद भी की।
60 साल के किसान राममूर्ति मिश्र आज भी किसानों के बीच अनुभव बांटने और ट्रेनिंग देने का काम करते है। वो गांव-गांव घूमकर मुफ्त में किसानों को अपने अनुभव बांटते है। इसके अलावा वह जिले और प्रदेश के बाहर भी अपने खेती के अनुभवों को बाँटनें जाते हैं। उन्होंने नें अभी तक बिहार, झारखंड, उत्तराखंड दिल्ली, हरियाणा, मध्यप्रदेश के किसानों को भी अपने अनुभव बांटे है। जिससे वहां के किसानों को लाभ हुआ है।
खेती में उनके द्वारा किये जा रहे प्रयोगों, नवाचारों और प्रयासों के चलते उन्हें ब्लाक, जिला, राज्य व नेशनल लेवल पर सैकड़ों पुरस्कारों से नवाजा जा चुका है। इस साल नई दिल्ली में उन्हें भारत सरकार के भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान से नवाचारी किसान का अवार्ड भी मिल चुका है।