Friday, July 5, 2024
साहित्य जगत

माँ की याद

मां तेरी आने की आहट हर बार सुनाई देती है,
तेरे आंचल में सोने में सुकून दिखाई देती है।

तेरे हाथों की मीठी रोटी अमृत जैसी भरपाई देती है,
तेरी प्यारी बातों ही से भूख मिट जाया करती है।

मां की प्यारी आंचल में जन्नत दिखाईं देती है,
मां की शालीनता से देवी दुर्गा की रूप दिखाई देती है।

तेरे जज्बातों से ही संघर्षों की नींव दिखाईं देती है,
तेरे हौसलाअफजाई से असफलता में सफलता दिखाई देती है।
विषमताओं के पीछे से ही समताए दिखाई देती है,
मां तेरे हाथों से दीप जलाने से घोर तिमिर में प्रकाश दिखाईं देती है।

विपदा की पहाड़ में भी खुशहाल संसार दिखाई देती है,
मां तेरे चरणों में चारो धाम दिखाई देती है।

 

आशीष प्रताप साहनी
भीवा पार भानपुर बस्ती
उत्तर प्रदेश 272194
8652759126