Saturday, May 18, 2024
विचार/लेख

पत्रकारिता की चुनौती

यह कहना सही नहीं कि आज पत्रकारिता के सामने अधिक कठिनाई है। वास्तविकता तो यह है कि पत्रकारिता में हर युग में चुनौतियां रही हैं। यदि लक्ष्मणरेखा को ध्यान में रखें तभी हम पत्रकारिता में खतरे उठा सकते हैं। आज पत्रकारिता इसलिए सुरक्षित है क्योंकि हमारे प्रारंभिक पत्रकारों एवं संपादकों ने लक्ष्मणरेखा नहीं लांघी।
जब भी कोई पत्रकार भाई न्यूज़ की हकीकत लोगो तक लाने की कोशिश करता है तब शासन सत्ता या लोगो के द्वारा कई तरह के शारीरिक व मानसिक दबाव बनाया जाता है|

कलम दुश्वारियों में है। पत्रकार मारे जा रहे हैं, कुचले जा रहे हैं, गिरफ्तार हो रहे हैं। लोकतांत्रिक मूल्यों की रक्षा के लिए कोई पत्रकार सच का खुलासा करता है, माफिया मार डालते हैं। सच का यह सिर्फ एक पहलू है, दूसरा खुद चौथे खंभे के घर-आंगन में। कुछ ताजा घटनाओं का संदर्भ लेते हुए, आइए, जानते हैं, आखिर किस तरह!
आज उत्तर प्रदेश के सिद्धार्थ नगर में पत्रकार के मार की घटना को लोगो का सोशल मीडिया पर निंदा कर रहे हैं| लेकिन इस पर कोई उचित कदम अभी तक इस पर नहीं उठे|

आप को बात दे की विश्व प्रेस स्वतंत्रता सूचकांक 2021
हमारी स्थिति बहुत ही दयनीय है वर्ष 2020
180 देशों में भारत 142 वें स्थान पर है|शर्म की बात है हमारे पड़ोसी देश 106 नेपाल, 127 पर श्रीलंका और 65 पर भूटान के साथ भी खराब प्रदर्शन किया है । पाकिस्तान 145 वें स्थान पर|

एक करीबी अनुयायी है।
भारत पत्रकारिता के लिए “खराब” वर्गीकृत देशों में से एक है और इसे पत्रकारों के लिए सबसे खतरनाक देशों में से एक कहा जाता है जो अपना काम ठीक से करने की कोशिश कर रहे हैं।

ऐसे में सुविधाजीवी पत्रकारिता वर्तमान समय के साथ, देश के साथ, जनता के साथ भला किस तरह न्याय कर सकती है,जब एसडीएम त्रिभवन प्रसाद जैसे व्यक्ति ऐसे पद पर रहकर एसा हरकत कर रहे है व्यवस्था में ईमानदार पत्रकार सुरक्षित रह भी कैसे सकते हैं। सच्चाइयां तो इससे भी ज्यादा तल्ख और पीड़ा दायक हैं। जग देख रहा है कि राजनेता किस तरह अपना-अपना व्यक्तित्व को बेचने में मीडिया और सोशल मीडिया का इस्तेमाल कर रहे हैं। यह शोध का विषय भी हो सकता है। संक्षेप में बस इतना जान लीजिए कि पत्रकार तो महात्मा गांधी भी थे।

-अरुण कुमार पत्रकार