कोरोना की पहली लहर में ही टूटने के कगार पर पहुंच चुके निजी स्कूलों का अस्तित्व खतरे मे-प्रेम शंकर द्विवेदी
बस्ती। कोरोना की पहली लहर में ही टूटने के कगार पर पहुंच चुके निजी स्कूलों का अस्तित्व खतरे मे है। न अभिभावक फीस देना चाहता और न ही स्कूल प्रबंधक तनख्वाह दे पाने की स्थिति में हैं। ऐसे में सरकार को आगे आकर स्कूलों को मदद देनी चाहिये जिससे प्रदेश की शिक्षा का मूल ढाचा बचा रहे और इससे जुड़े बेरोजगार अल्प मानदेय पर अपना परिवार चला सके। यह बातें कांग्रेसी नेता एवं पीसीसी सदस्य प्रेमशंकर द्विवेदी ने कही।
उन्होने यहां मीडिया को जारी बयान में कहा कि निजी क्षेत्र कमजोर हुये तो लाखों करोड़ों की संख्या में लोग बेरोजगार हो जायेंगे और हालात काबू कर पाना मुश्किल ही नही असंभव हो जायेगा। कोरोना प्राकृतिक आपदा है लेकिन इससे पहले जीएसटी, नोटबंदी जैसे कई जनविरोधी फैसलों ने जनता की कमर तोड़ दी है। अब निजी सेक्टर की कमजोरी लाखों की संख्या में लोगों को बेरोजगार बना रही है। शिक्षा क्षेत्र से कई तरह के रोजगार के अवसर मिलते हैं, स्कूलों की बंदी से वे सभी संकटग्रस्त हैं। सरकार का दायित्व है कि इस मुसीबत से उबारने के लिये नीतियां बनाये और हर उस व्यक्ति और संस्था को सहयोग प्रदान करे जो सामाजिक सरोकारों को मजबूत करने और शिक्षा को नित नये आयाम देने का प्रयास कर रहे हैं।