Wednesday, May 8, 2024
क्राइम

झूठी कहानी गढ़ने में बस्ती पुलिस का कोई तोड़ नही

बस्ती पुलिस की फर्जी मुठभेड़ का मामला मानवाधिकार आयोग पहुँचा

बस्ती।पुलिस के कारनामों की फेहरिस्त काफी लम्बी है। कामकाज का यही तरीका रहा तो सही गलत में फर्क करना मुश्किल नही होगा बल्कि गलत ही सही लगने लगेगा। ऐसे हाल में समाज को कोई ताकत नही बंचा पायेगी। बीएनटी लाइव प्रमुखता से ऐसे मामलों को उजागर करता आ रहा है। ताजा मामला अभी हाल ही में हुये मुठभेड़ से जुड़ा है।

कहा जाता है कि अपराधी घटनाओं को अंजाम देने के बाद अपनी कोई पहचान जरूर छोड़ जाता है। पुलिस भी कई बार इसी अंदाज में काम करती है और अपने पीछे कुछ निशान छोड़ आती है जो घटनाओं के खुलासे के समय उसके द्वारा बतायी गयी स्टोरी को झुठलाने के लिये काफी होता है।

पुलिस अपनी नाक ऊंची करने के लिये कुछ भी कर सकती है। लोगों को फर्जी मुकदमों में फंसाकर अपराधों में कमी का दावा करना, अवैध असलहा, मादक पदार्थ व अन्य आपत्तिजनक वस्तुयें रखकर चालान करना, गिरफ्तारी में गलत स्थान व तरीके दिखाकर वाहवाही लूटना, साधारण अपराधी को दुर्दान्त बनाकर पेश करने के लिये फर्जी मुठभेड़ दिखाना, अपराधियों से रिश्ते बनाकर रखना और सम्भ्रान्त लोगों को बेइज्जत करना पुलिसिया कामकाज का हिस्सा बन चुका है।

इतना सबकुछ होने के बाद आप सहज ही कल्पना कर सकते हैं कि अपराधों में कमी क्यों नही आ रही है ? पुलिस के प्रति जनता का भरोसा मजबूत क्यों नही हो रहा है ? जनपद के परसरामुपर थाना क्षेत्र में हुये मुनीम लूटकांड में पुलिस ने दिल्ली के मोहन गार्डन से तीन लोगों को उठाया था। फर्जी मुठभेड़ दिखाकर एक को पेश किया, बाकी दो भी जेल भेजे गये। फर्जी मुठभेड़ तथा पुलिस द्वारा अन्य फर्जी मुकदमों में फंसाने को सोशल एक्टिविस्ट डॉ नूतन ठाकुर ने गंभीरता से लिया है। उन्होने राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग में शिकायत की है। अपनी शिकायत में नूतन ने कहा कि उन्हें बस्ती के अनिल कुमार चौबे द्वारा दी गयी जानकारी के अनुसार बस्ती पुलिस ने उनके लडके सूरज चौबे को दीपक शुक्ला तथा अमित शुक्ला के साथ एम ब्लाक, मोहन गार्डन, नन्दलाल मंदिर, उत्तम नगर, दिल्ली इलाके से 13 मार्च 2021 को समय लगभग 14.00 बजे उठाया।

इसका सीसीटीवी फुटेज भी वायरल हुआ है। बस्ती पुलिस ने अगले दिन दावा किया कि दीपक शुक्ला को प्रातः 4.22 बजे पुलिस ने एक मुठभेड़ में गिरफ्तार कर लिया जिनके पास से 0.32 बोर के एक अदद पिस्टल तथा 2.जिन्दा व 3 खाली कारतूस बरामद हुए। जबकि सूरज की 15 फरवरी को गिरफ़्तारी दिखाई गयी। नूतन ने कहा कि उन्हें इन लड़कों को दिल्ली से उठाये जाने के सम्बन्ध में 0.35 मिनट तथा 4.56 मिनट के 2 सीसीटीवी रिकॉर्डिंग दिए गए हैं, जिसमे एक सफ़ेद कार में तीन लड़कों को बारी-बारी बैठाया जाना साफ़ दिख रहा है। अनिल चौबे के अनुसार ये तीनों लड़के सूरज चौबे, दीपक शुक्ला तथा अमित शुक्ला हैं।

नूतन ने इसे अत्यंत गंभीर और प्रथमद्रष्टया फर्जी पुलिस मुठभेड़ की सम्भावना बताते हुए आयोग को अपने स्तर से जाँच कराते हुए विधिक कार्यवाही कराये जाने की मांग की है। अब देखना ये होगा कि दिल्ली से उठाकर बस्ती में गिरफ्तारी दिखाना, फर्जी मुठभेड़ की स्क्रिप्ट तैयार करना, गोली मार देना, पुलिस को गोली लग जाना और असलहा दिखाने वाले होनहार, जाबांज पुलिस के जवानों का इसका पारितोषिक कब मिलेगा। पुलिस के लिये यह कोई बड़ी घटना नही है। पिठले डेढ़ सालों में बस्ती पुलिस की ऐसी कार्यशैली रही कि दर्जनों मामले महिला आयोग, मानवाधिकार आयोग और प्रेस काउंसिल आफ इण्डिया के पटल पर पहुंच गये।

सभी मामलों में देर सबेर एक्शन होना है। मसलन यहां आईएएस आईपीएस नही बल्कि आयोग काम कर रहे हैं। इसी तरह फर्जी मुकदमों से न जाने कितने परिवारों को पुलिस बरबाद कर चुकी है।