Saturday, May 18, 2024
साहित्य जगत

बसंत पावन

पछुआ शुष्क हवा का झोंका,
सांझ सवेरे रह गया सर्द की रेखा।

बच्चों पेड़ों के झरबेरे पे,
खूब आनंद है लूट रहे।

पक्षी अपनी-अपनी किलकारियों से,
सर्वजन के मन मोह रही हैं।

फसलों की मनमोहक हरिया लिया,
रवि की फूट गई है बालियां।

मौसम लग रहा खूब मनभावन,
आशीष करता वर्णन बसंत पावन।

आशीष प्रताप साहनी
भीवापार भानपुर बस्ती
उत्तर प्रदेश 272194
8652759126