।। मां को नमन ।।
नदी सी गंभीर ,और समर्पित
तेजस्विनी , ममतामयी
जन्मदात्री , सर्वस्व की पहचान ।
हर तरफ विस्तार उसका
ममता की मुरत
रहती सदा मुस्कुराती
दुख को मेरे समेट जाती
ममता का रस बरसाती ।
मां हमारी नदी जैसी होती
ये दुनिया है तेज धूप
मां छांव सी होती है ।
मीरा और सूर के पदों में
मानस की चौपाइयों में
आकाश – सा व्योम
मां के आंचल का छोर
सोचती हूं बटोर कर
ममता के सब ताने – बाने
लिखूंगी एक कविता
मां को उपहार देने ।।
-संध्या दीक्षित
बस्ती(उत्तर प्रदेश)