Saturday, June 29, 2024
साहित्य जगत

जीवन का उद्देश्य बनाया

मैने भरसक तुम्हें बचाया।

अपना सेवा धर्म निभाया।
लेकिन तुमने मेरे ऊपर,
निराधार आरोप लगाया।।
सिर्फ चन्द सिक्को की खातिर,
अपना धर्म, इमान मिटाया।
मुझ जैसे प्राणी के ऊपर,
अफवाहो का जाल बिछाया।।
पर जो चला असत्य राह पर,
उसने दुख को गले लगाया।
तुम्हें पिलाया अमृत लेकिन,
तुमने मुझको जहर पिलाया।।
मैनें अपने सद्कर्मो से,
बस्ती में इतिहास रचाया।
जिसने जैसा कर्म किया है,
उसने वैसा ही फल पाया।।
मैनें तो समाज सेवा को,
जीवन का उद्देश्य बनाया।।

डा0 वी0 के0 वर्मा
आयुष चिकित्साधिकारी,
जिला चिकित्सालय-बस्ती