Wednesday, June 26, 2024
बस्ती मण्डल

सुभाष जी एक महान भारतीय राष्ट्रवादी नेता थे-ओमप्रकाश आर्य

बस्ती।तुम मुझे खून दो मैं तुम्हें आजादी दूँगा का नारा साकार करने वाले भारतमाता के अमर सपूत नेता जी सुभाष चन्द्र बोस भारतीय जनमानस में प्राण की भांति सदैव विद्यमान रहेंगे” उक्त विचार स्वामी दयानंद विद्यालय सुर्तीहट्टा पुरानी बस्ती में सुभाष चंद्र बोस की 125 वीं जयंती के अवसर पर विद्यालय के प्रधानाध्यापक अदित्य नारायण गिरि ने व्यक्त किए। कहा कि मां भारती के वीर सपूत महान देशभक्त भारतीय संग्राम के महानायक नेताजी सुभाष चंद्र बोस के अंग्रेजी हुकूमत की नींव हिलाने और भारत की स्वतंत्रता हेतु अपने त्याग, बलिदान और समर्पण का राष्ट्र सदैव कृतज्ञ रहेगा।
नेताजी सुभाष चंद्र बोस के साहस और पराक्रम ने भारतीय स्वतंत्रता संग्राम को नई शक्ति प्रदान की ।उन्होंने विपरीत परिस्थितियों में अपने देश की युवा शक्ति को संगठित किया। आज के दिन को ‘पराक्रम दिवस’ के रूप में भी मनाया जाता है।
सुभाष चन्द्र बोस की यश और कीर्ति युगों युगों तक रहेंगी ।क्योंकि वीर पुरूष हमेशा एक ही बार मृत्यु का वरण करते हैं लेकिन वह अमर हो जाते हैं ।।
इससे पूर्व सभी लोगों ने नेताजी सुभाष चंद्र बोस के चित्र पर माल्यार्पण कर श्रद्धा सुमन अर्पित किया तत्पश्चात अपने अपने विचार क्रमबद्ध तरीके से रखकर सुभाष चंद जी के जीवन संघर्ष, आंदोलन पर प्रकाश डाला।
विद्यालय के शिक्षक अनूप त्रिपाठी जी ने अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा कि सुभाष चंद्र बोस इतिहास के महानतम व्यक्तियों में से एक हैं जिन्होंने देश को आजाद करने का स्वप्न दिल की गहराइयों से देखा और उसे साकार करने के लिए अपना सर्वस्व समर्पित कर दिया।
अरविंद श्रीवास्तव ने अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा कि स्वतंत्रता आंदोलन के महानायक सुभाष चंद्र बोस का नाम इतिहास में स्वर्ण अक्षरों में लिखा जायेगा। सुभाष चंद्र बोस ने अंग्रेजों को भारत से खदेड़ने व भारत को स्वतंत्र कराने में अहम भूमिका निभाई। दिनेश मौर्य ने कहा कि सुभाष चंद्र बोस ने आजादी के लिए जिस तरह लड़ाई लड़ी वह देश को आजाद कराने में अहम् रही ।
देवव्रत आर्य ने कहा कि सुभाष चंद्र बोस देश ही नहीं अपितु पूरे विश्व के नेता थे। उन्होंने कई देशों का दौरा कर भारत की आजादी के लिए समर्थन जुटाया जिसके परिणाम स्वरूप देश आजाद हुआ।
विद्यालय के प्रबंधक ओम प्रकाश आर्य ने कहा कि सुभाष जी एक महान भारतीय राष्ट्रवादी नेता थे जिन्होंने ब्रिटिश शासन के खिलाफ भारत की आजादी के लिए द्वितीय विश्वयुद्ध के दौरान बड़ी हिम्मत से लड़ा था । नेताजी 1920 से 1930 तक भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के स्वच्छंद भाव युवा नेता थे। 1938 में कांग्रेस के अध्यक्ष बने तथा उन्होंने उसके पश्चात अपनी अलग क्रांतिकारी विचारधारा को अंगीकार करते हुए उन्होंने ‘आजाद हिंद फौज’ की स्थापना की और देश को आजाद कराया ।अपनी राष्ट्रवादी क्रियाकलापों के लिए उन्हें कई बार जेल जाना पड़ा। भारत को स्वतंत्र देश बनाने के लिए उन्होंने बहुत से संघर्षों का सामना किया तथा अपने प्राण तक न्यौछावर कर दिया।
विद्यालय के प्रधानाध्यापक गरूणध्वज पाण्डेय ने कहा कि देश की स्वतंत्रता के लिए भारतीयों ने जिस यज्ञ को शुरू किया था उसमें जिन जिन स्वतंत्रता सेनानियों ने अपने प्राणों का बलिदान दिया था उसमें सुभाषचंद्र बोस का नाम सर्वप्रथम आता है । वे अंग्रेजो के खिलाफ युद्ध करके देश को आजाद कराना चाहते थे।
कार्यक्रम में मुख्य रूप से देवव्रत आर्य, अनूप त्रिपाठी, दिनेश मौर्य, शिव श्याम, अरविंद श्रीवास्तव, राधा देवी आदि लोग उपस्थित रहे ।