Wednesday, June 26, 2024
साहित्य जगत

एक तुम ही हो

एक तुम ही हो, जो
मुस्कुराहट के पीछे
उदासी देख लेते हो
वर्ना सारी दुनिया तो
मुस्कुराहट को मुस्कुराहट
ही समझती है,
एक तुम ही हो जो
आंखों की उदासी
देख लेते हो,
वर्ना सारी दुनिया तो
आंखों की चमक देखती है,
एक तुम ही हो जो,
चेहरे के भाव पढ़ लेते हो,
वर्ना सारी दुनिया तो,
खूबसूरती देखती है,
एक तुम ही हो जो,
मेरा मन पढ़ लेते हो,
वर्ना सारी दुनिया तो,
तन पढ़ती है………!

आर्यावर्ती सरोज “आर्या”
लखनऊ (उत्तर प्रदेश)